संपदाओं पर नही किसी का ध्यान, मिलना चाहिए सरंक्षण खुदाई में मिल चुके हैं प्राचीन सिक्के, पात्र, प्रतिमाएं सहित कई धातुएं
संपदाओं पर नही किसी का ध्यान, मिलना चाहिए सरंक्षण
खुदाई में मिल चुके हैं प्राचीन सिक्के, पात्र, प्रतिमाएं सहित कई धातुएं
सारंगपुर
ऐतिहासिक व प्राचीन नगर सारंगपुर जहां पुरा संपदा भरपूर मात्रा में है। किन्तु जरूरत है इस संपदा को सहेजने की अगर इन पुरा संपदा को संग्रहित कर संरक्षित किया जाता है तो कई प्राचीन जानकारियों से अवगत हुआ जा सकता हैं। इस नगर मे समय-समय पर खुदाई के दौरान प्राचीन संपदा इसमें, सिक्के, मिट्टी के पात्र, प्रतिमाएं, टेराकोटा सहित अनेक वस्तुएं प्राप्त हुई हैं। जिससे सारंगपुर नगर की प्राचीनता प्रमाणित होती है। कई वर्ष पूर्व नगर के पुराने बस स्टैंड पर पुरातत्व विभाग का संग्रहालय था और इसमें कई पुरानी रखी प्रतिमाएं व अन्य प्राचीन वस्तुएं इधर-उधर हो गई और यह संग्रहालय बंद हो गया इसके बाद से आज तक इसको चालू कराए जाने के लिए किसी ने भी प्रयास नही किया।
पशु चिकित्सालय को बदला था संग्रहालय में :
बता दें कि नगर के पुराने बस स्टैंड पर खंडहर के रुप में तब्दील हो चुका उक्त भवन लगभग 50 वर्ष पूर्व पशु चिकित्सालय हुआ करता था उसके बाद इसे संग्रहालय में बदल दिया गया किन्तु बाद में सन 1995 से इस भवन में ताला लग गया और इसमें रखी मूर्तियां व अन्य प्राचीन धरोहरों को या तो राजगढ़ संग्रहालय में भेज दिया गया और कुछ गायब हो गई किन्तु किसी ने भी स्थानीय धरोहरों को सहेजने व संरक्षित करने के लिए सकारात्मक प्रयास नही किया नगर की प्राचीनता को देखते हुए और खुदाई मे निकले अवशेषों के साथ संभाल के लिए कई बार संग्रहालय बनाने की मांगे उठी है। किंतु आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस और ध्यान नहीं दिया है। पूर्व में इन मांगों को देखते हुए नपाध्यक्ष ने इस पुराने संग्रहालय भवन को पुनः संग्रहालय के लिए उपयोग में लेने के लिए आश्वासन दिया था किन्तु काफी समय बीतने के बाद भी इस संबंध में कोई कार्यवाही तक नहीं हो सकी है।
संपदाओं का गढ़ सारंगपुर :
सारंगपुर पुरातत्व की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण नगर माना जाता है। मालवा का केंद्र बिंदु प्राचीन सारंगपुर नगर अपने पुरातात्विक गौरव, अस्थि युग, वैदिक काल, बौद्ध, जैन, शुंग, गुप्त, मुगलकालीन एवं अन्य राजा महाराजाओं तथा मालवा के शासकों के उत्थान पतन की कहानियां अपने अतीत में छुपाए बैठा है। कहा जाता है कि यहां एक स्वर्ण धातु निर्मित कर्ण कुंडल भी उत्खनन के दौरान मिला था। इसमें 12 आकृतियां कलात्मक ढंग से बनीं हुई थीं। किंतु यह कुंडल कहां है यह अब एक रहस्य बन गया है। वहीं कालीसिंध नदी के भी माइक्रोलिस्थ व ओप दार पत्थर के हथियार, मुद्रा, चाक निर्मित बर्तन, शंख व हाथी दांत के आभूषण व कांच पत्थर हकीक के समान पत्थर भी प्राप्त हुए है। नगर मे व्यायाम शाला के समीप गंदी का टीला जहां पर कई बार खुदाई का कार्य हुआ था इस स्थान पर कई पुरा संपदाएं भी मिली थी इसी प्रकार अन्य स्थानों पर भी खुदाई के दौरान अलग अलग वस्तुएं प्राप्त हुई थी। बता दे कि स्थानीय कालीसिंध नदी मे रेत उत्खनन के दौरान ब्रहमाजी, विष्णु व कार्तिकय की 5 फीट लंबी व 3 फीट चौडी प्रतिमाएं भी निकली थी जिससे इस नगर की ऐतिहासिकता प्रमाणित होती है। वही प्राचीन कपिलेश्वर महादेव मंदिर के बाहर चट्टान पर जैन तीर्थकर की प्रतिमा भी लगी है जो समय के साथ साथ खंडित हो चुकी है।
प्रक्रिया में संग्रहालय
नगर की धरोहरें सहजने के लिए पुराने बस स्टैंड स्थित संग्रहालय भवन को उपयोग में लेकर इसको व्यवस्थित किए जाने के लिए हमने प्रक्रिया बहुत पहले से बना रखी है, जल्द ही इसे शुरू करने के प्रयास किए जाएंगे।
पंकज पालीवाल, नपाध्यक्ष सारंगपुर।