सड़कों चौराहों पर भीख मांगता देश का भविष्य गर्त में जा रहा बचपन। कागजों में सख्ती दिखा कर अपनी जिम्मेदारी को इतिश्री कर रहे जिम्मेदार।
सड़कों चौराहों पर भीख मांगता देश का भविष्य गर्त में जा रहा बचपन।
कागजों में सख्ती दिखा कर अपनी जिम्मेदारी को इतिश्री कर रहे जिम्मेदार।
सारंगपुर
नगर में बच्चे आजकल न्यू बस स्टैंड पर भीख मांगते अक्सर दिखाई देते हैं लेकिन अब बच्चों ने नया तरीका खोज लिया अब यह बच्चे भगवान के फोटो लेकर पैसे मांग रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इसके पीछे इनके माता पिता भी शामिल हो सकते हैं। साथ ही बचपन जो पढ़ने लिखने का होता है वह गुब्बारे खिलौने का व्यापार भी कर रहे है। कुछ बच्चे पेट पालने की चाहत में भीख मांगते हैं तो कुछ को इस धंधे में जबरन धकेल दिया जाता है। उनकी नजरें हमेशा होटल या दुकानों से निकलने वाले लोगों को तलाशती रहती हैं। जैसे ही कोई वहां से बाहर निकलता है तो उनसे भूख मिटाने के लिए पैसा या खाने की चीज मांगना शुरू कर देते हैं। भीख मांगने वाले बच्चों के साथ कुछ महिलाएं भी नजर आती हैं लेकिन अफसोस ऐसे में न तो प्रशासन कोई अभियान चलाता है और न ही पुलिस। इसी वजह से इनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और इन्हीं कारणों की वजह से मासूमियत की आड़ में बचपन सड़कों पर भीख मांग रहा है।
सरकार की योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ :
देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को जब जीवन यापन के लिए सड़कों पर भीख मांगते देखा जाता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार द्वारा बच्चों की पढ़ाई तथा कल्याण के लिए शुरू की गई करोड़ों की योजनाओं का लाभ इन तक नहीं पहुंच रहा है। सर्वशिक्षा अभियान के तहत सरकारें करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। परंतु फिर भी भारी संख्या में घुमंतू परिवारों के बच्चों तक इसकी किरणें नहीं पहुंच पाई हैं। जिससे पता चलता है कि इन योजनाओं का लाभ ऐसे पात्र बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा है। स्थानीय बस स्टैंड पर तो ऐसे भीख मांगने वाले बच्चों की बाढ़ सी आ गई है। इनमें प्राय झुग्गी झोपडयों में रहने वाले बच्चों की संख्या अधिक होती है।
प्रशासनिक निगरानी की है आवश्यकता
प्रशासन को भी चाहिए कि वे ऐसे बालकों पर निगरानी रखे कहीं यह बालक अपहरण किए हुए बालक तो नहीं है यदि प्रशासन की ओर से इस बार में ध्यान दिया जाता है कि सड़कों पर आधे अधूरे वस्त्र पहनकर भीख मांगते नन्हें बालकों की भीड़ रोकी जा सकती है। कुल मिलाकर बालकों का जो शोषण हो रहा है उसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाना जरूरी है भले ही बालकों के सगे माता-पिता उन्हें भीख मांगने के लिए बाध्य करते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
जिम्मेदारों को देना चाहिए ध्यान :
बस स्टैंड पर दौड़ती बसों में तथा बसों से बाहर भीख मांगते समय कभी भी दुर्घटना होने का डर रहता है। परंतु पेट पालने की दौड़ में ऐसे बच्चें अपनी जिदगी पर दांव पर लगाए हुए दिखाई देते हैं। जिसकी और सरकार के जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्कता है। शहर के अधिकांश चौराहों के पास से गुजरने वाले वाहनों के आगे हाथ फैलाकर भीख मांगने वाले नौनिहालों का मिलना कोई नई बात नहीं है शहर में या तहसील क्षेत्रों के प्रमुख चौराहों पर इस तरह के दृश्य देखे जा सकते है। यह नौनिहालों की आर्थिक मजबूरी है या फिर कोई उन्हें जबरन भीख मांगने के लिए प्रेरित कर रहा है इस बात पर विगत कई वर्षों से चिंतन भी जारी है।
पुलिस कर सकती है कार्रवाई :
लगभग 55 साल पुराने एक कानून के मुताबिक दिल्ली सहित भारत के कई शहरों में भीख मांगना गैर कानूनी है और पुलिस ऐसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है जो भीख मांगता पाया जाए। बता दे की सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक पुलिस इस कानून का इस्तेमाल नहीं करती अगर करती भी है तो अकसर गरीबों और खास तौर पर बाल भिखारियों के खिलाफ करती है।