यात्री बसें मापदंडों में फेल, फिर भी परिवहन विभाग नहीं दे रहा है ध्यान। 
क्षमता से अधिक  सवारियां भरकर बैखोप होकर थानों के सामने से निकल रही यात्री बसें।

सारंगपुर

क्षेत्र से संचालित हो रही यात्री बसों में क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाकर यात्रा करवाई जा रही है। हालांकि इस मामले की जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी है, लेकिन क्षमता से अधिक भरी यात्री बसों पर न तो जुर्माने की कार्रवाई की जा रही है ओर न ही ऐसा न किए जाने की उन्हें हिदायत दी जा रही है। ऐसे में यात्री बस संचालकों के भी हौसले बुलंद है। लेकिन इसका खामियाजा उन यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है जो आए दिन हो रही घटनाओं में घायल हो रहे है। इसके बावजूद भी इस दिशा में सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है।माचलपुर, जीरापुर, खिलचीपुर से इंदौर जाने वाले  लंबे रूट पर चलने वाली यात्री बसों में बस संचालक सवारियों को ऐसे भर रहे है कि जैसे कोई भेड़ बकरियों को भरा जा रहा हो। ऐसा कोई दिन नहीं गुजर रहा जब इन रूटों पर चलने वाली यात्री बसों में क्षमता से अधिक सवारियां नहीं बैठाई जाती। नियमों को ताक पर रखकर बस संचालकों द्वारा यात्री बसों का संचालन किया जाता है, इसके बाद भी  इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
स्थिति यह है कि, सारंगपुर क्षेत्र के संडावता, पाडल्या भैंसवा रोड पर 50 से अधिक यात्री बसें बस स्टैंड से संचालित होती है, लेकिन एक भी बसों को विभागीय अधिकारी द्वारा चेक नही किया जाता।
अंधाधुन दौड़ रही यात्री बसे

शनिवार को माचलपुर  से इंदौर जाने वाली बाल कृष्णा बस क्रमांक एमपी 39 पी 9357में क्षमता से अधिक सवार बस में खड़े सभी यात्रियों के चेहरे भी स्पष्ट बयां कर रहे थे कि बस से सफर कितना मुश्किल भरा हैं। बस के यात्री बस अपने गंतव्य पर जल्दी से जल्दी पहुंचने के लिए ही राह तक रहे थे। बस में चालक और कंडेक्टर के पास कोई यूनिफार्म नहीं थी। एक सहायक भी बस में सवार था। जो पूरे रास्ते सवारियों को आवाज लगा रहा था। बसों से यात्रा करने वाले यात्रियों के अनुसार प्रतिदिन की यही हालत हैं।कई बसों में तो बारिश के समय खिड़कियों से पानी बस के अंदर आता हैं। सीटें भी भीग जाती है, लेकिन मजबूरी में सफर करना पड़ता हैं। करीब 2 घंटे से ज्यादा समय के बाद उक्त बस ने जीरापुर  से सारंगपुर का सफर पूरा किया । सारंगपुर में बस को बस स्टैंड ले जाने की बजाय रेलवे ब्रिज के यहां से सीधे में हाईवे पर नगर पालिका के सामने गिरते हुए पानी में यात्रियों को रोड पर ही उतार दिया जिसमें महिलाएं शामिल थी विरोध करने पर भी बस कंडक्टर ने यात्रियों की कोई बात नही मानी  ।

घटनाओं से नहीं लिया जा रहा सबक:

जिला हो या प्रदेश आए दिन यात्री बसों की घटना दुर्घटनाओं के मामले सामने आ रहे है, इसके बावजूद भी न तो बस संचालक इस दिशा में सुधरने का नाम ले रहे है ओर न ही विभागीय अधिकारी ऐसी व्यवस्थाओं पर लगाम लगा रहे है। लंबे रूटों पर एक ड्राइवर द्वारा बसों को तेज गति से  चलाने से ज्यादातर घटनाएं सामने आई है, जिसमें कई बार जान-माल की हानि भी हुई है।

एक साल में ही कई बार हो गई घटनाएं :

सारंगपुर से आगर जाने वाली या फिर संडावता की तरफ आने वाली कई यात्री बसें दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है। एक साल के अंदर ग्रामीण क्षेत्र में भी कई यात्री बसें दुर्घटना ग्रस्त हो  चुकी है। इन घटनाओं में नुकसान भी हुआ है। लेकिन इन सब के बावजूद इस दिशा में जिम्मेदारों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने बस मालिकों हौसले बुलंद होते जा रहे है

त्योहार पर स्थिति गंभीर:

विभागीय अधिकारियों की उदासीनता व अनदेखी के चलते में   संचालित हो रही यात्री बसों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठाई जा रही है। राखी के पर्व पर तो बस संचालकों ने सभी नियमों को तोड़ दिया। स्थिति यह हो रही है कि, बसों में पैर रखने तक की जगह नहीं होने के बावजूद भी मोटी कमाई के फेर में यात्रियों को अंदर भर दिया जाता है, जिससे कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है।
          
चेकिंग अभियान चलाकर यात्री बसों को चेक करवाकर  ओवरलोड चल रही यात्री बसों पर कार्यवाही की जाएगी।

   अरविंद सिंह
 एसडीओपी सारंगपुर