सारंगपुर सिविल अस्पताल में नही है दिल का डॉक्टर शहर सहित अंचल में बढ़ रहे दिल के मरीज
सारंगपुर सिविल अस्पताल में नही है दिल का डॉक्टर शहर सहित अंचल में बढ़ रहे दिल के मरीज
सारंगपुर
देखा जाए तो सारंगपुर क्षेत्रवासी हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला जा रहा है, भले किसी जमाने में हिंदी फिल्मों का यह गीत लोकप्रिय हुआ हो, लेकिन कुछ समय से शहर में हर फिक्र को धुएं में उड़ाने की आदत ने दर्द ए दिल के मरीज बढ़ा दिए हैं। शहर में दिल की बीमारी में हार्ट अटैक के अलावा धड़कन बढ़ने के मामले भी अधिक सामने आने लगे हैं। इसकी मुख्य वजह दिल से जुड़ी बीमारियों के साथ ही बुखार, एनिमिया या चिंता भी सामने आ रही है। कार्डियोलॉजिस्ट, एमडी मेडिसिन, चेस्ट फिजिशियन आदि के पास एक माह में अगर 100 मरीज आते हैं, तो इनमें से लगभग 20 से 25 मरीज दिल की धड़कन बढ़ने या कम होने के होते हैं। इन मरीजों में युवाओं का प्रतिशत अधिक है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की माने तो दिनभर के काम, तनाव या स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देने सहित नशे की आदत से दिल की धड़कन बढ़ने के मामले बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, 100 आने वाले मरीजों में 27 फीसदी मामले दिल की बीमारियों के निकल रहे है, जिसमे कई प्रकार की बीमारी निकल कर सामने आती है। 50 फीसदी मामले तनाव, बुखार आदि से जुड़े रहते है। खासकर नशे के धुएं से हर तनाव को उड़ाने वाली मानसिकता ने इस बीमारी को बढ़ावा दिया है। जानकारों की माने तो दिल के मरीजों को सर्तक रहने की आवश्यकता है।
सिविल अस्पताल में नही दिल का डॉक्टर :
शहर के सिविल अस्पताल में चिकित्सकों और संसाधनों के अभाव के साथ साथ इस चिकित्सालय में हृदय ग्रसित रोगियों का इलाज हो पाना भी संभव नहीं है, अस्पताल में दिल की बीमारी की दवाइयों सहित हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भी नहीं है। जिसके चलते अस्पताल में आने वाले हृदय रोगियों को राहत नहीं मिल पा रही है, सवाल यह है की ऐसे में अस्पताल में आने वाले मरीजों का दिल का दर्द कौन समझेगा। ज्ञात हो कि पूर्व में चिकत्सालय में एकमात्र ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ.एमके वशिष्ट पदस्थ थे, जो जून 2014 में सेवानिवृत हो चुके है।
किसी भी उम्र में हो सकती है दिल की बीमारी :
बता दे की धड़कन बढ़ने की समस्या के लिए कोई खास उम्र नहीं है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। चिकित्सकों के अनुसार यह रोग मुख्य रूप से कोरोनरी धमनी के कारण होता है। इससे बचने के लिए बेहतर जीवन शैली, हर प्रकार के नशे व तनाव का तुरंत त्याग जरूरी है। इसके अलावा अधिक तेज आवाज में बोलने से भी दिल की बीमारी होती है।
ध्यान दीजिए... ये धड़कन कुछ कहती है :
60 से 100 के बीच होती है वयस्क व्यक्ति की सामान्य हृदय गति।
40 से 45 से कम होने पर पेसमेकर लगाने की बनती है स्थिति।
100 से 150 के बीच होने पर मुख्य कारण एनिमिया, बुखार व चिंता।
150 से अधिक धड़कन दिल के रोग के कारण होती है।
70 फीसदी गोली-दवाई से ठीक
दिल की धड़कन तेज होने पर तुरंत ईसीजी कराना चाहिए। इससे हार्ट संबंधित बीमारी होने पर जानकारी मिल जाती है। हमारे पास आने वाले मरीजों में से 20 से 27 फीसदी इससे पीड़ित होते हैं। अधिकतर मामलों में 70 फीसदी गोली दवाई से ठीक हो जाते हैं। अब समय पर जांच व उपचार जरूरी है।
डॉ एम के वशिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ
लेना चाहिए चिकत्सय परामर्श
हर रोज धड़कन बढ़ने के दो से तीन केस आ रहे हैं। इसमें हृदय रोग के साथ जीवनशैली में बदलाव सहित अन्य कारण भी शामिल हैं। बार-बार चक्कर आना, सीने में दर्द होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
डॉ रवि चंद्रावत चिकत्सक सिविल अस्पताल सारंगपुर