हर पल थमते पहिए, बिगड़ी व्यवस्था से झुंझती जनता पर नहीं किसी का ध्यान शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं प्रशासन
हर पल थमते पहिए, बिगड़ी व्यवस्था से झुंझती जनता पर नहीं किसी का ध्यान
शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं प्रशासन
सारंगपुर
नगर में 50 हजार से अधिक आबादी निवास करती है। तहसील मुख्यालय होने से अंचल के लोगों का आना जाना यहां लगा होता है। बावजूद इसके शहर की जनता समस्या से जूझे तो सिस्टम पर सवाल उठना लाजमी है। इसकी हकीकत सारंगपुर में देखी जा सकती है। यहां के रहवासियों को मुख्य सडक़ से लेकर बाजार तक लगते जाम से परेशानी भोगना पड़ रही है। ऐसा नहीं है कि इसका निराकरण करने चर्चा नहीं चलती, पर उस समस्या का समाधान कुछ नहीं हुआ है। जिले में सर्वाधिक भीड़ भाड़ वाले शहरों में शामिल सारंगपुर शहर लंबे समय से जाम की जद में जकड़ा हुआ है। इस नगर की मुख्य सडकों पर कब और किस समय जाम लग जाए कहना मुश्किल है। इसकी गिरफ्त में आने के बाद आवाजाही करने वालों की जमकर फजीहत होती है। जाम से निकलने में ही कई बार आधे घंटे से ज्यादा तक का समय लग जाता है जिससे उनको परेशानी होती है। यही नहीं जाम की वजह से अव्यवस्था अलग फैल जाती है।
नहीं है कही पार्किंग :
शहर में एक भी स्थान पर पार्किंग का कोई इंतजाम नहीं है। इससे लोग सड़कों पर ही अपने दो और चार पहिया वाहनों को खड़ा कर रहे हैं। स्थिति तब ज्यादा बिगड़ती है जब लोग अपने वाहनों को मुख्य बाजार और प्रमुख सडकों पर खड़ा करते हैं। इनकी वजह से दूसरे वाहनों को निकलने की जगह नहीं मिलती है और जाम के हालात निर्मित हो जाते हैं। कई बार जाम इतना लंबा लग जाता है कि बहाल होने में ही काफी समय लगता है, उस दौरान दूसरे आवागमन करने वाले लोग काफी परेशान नजर आते हैं।
बैंकों के सामने खड़े होते वाहन :
निजी और सरकारी को मिलाकर एक दर्जन से ज्यादा बैंक हैं। उनके सामने भी यही हालात देखे जा सकते हैं। करोड़ों रुपए का लेनदेन करने वाले इन बैंकों के पास प्रबंधन पार्किंग के कोई इंतजाम नहीं करा पाया है। यह वाहन बैंक परिसर से लेकर सडक तक पहुंच जाते हैं। पुराने हाईवे बस स्टैंड स्थित एसबीआई, बैंक ऑफ इंडिया शाखा सहित अन्य जगह इसकी हकीकत आसानी से देखी जा सकती है। कई बार वाहनों को अलग करना पड़ता है, तब जाकर दूसरे वाहनों के पहिए आगे बढ़ पाते हैं।
नहीं होती विभागीय कार्रवाई :
इंदौर नाके से लेकर पुराना बस स्टेंड, पेट्रोल पंप, अकोदिया नाका स्थित दुकानों के सामने सडक पर वाहन खड़ा कर सुधार कार्य करने वालों को कुछ कुछ साल पहले नगर पालिका व पुलिस ने नोटिस थमाए थे। विभाग ने चिन्हित लोगों को यह नोटिस दिए थे, लेकिन कार्रवाई नोटिस तक ही सीमित होकर रह गई है। आज भी बड़े वाहनों को सडक पर ही खड़ा देखा जा सकता है। इन वाहनों से आए दिन दूसरे वाहन टकराने की वजह से हादसे होते हैं। इसमें घायल लोगों को अस्पताल का मुंह देखना पड़ता है। रहवासियों का कहना है कि वर्षों पुरानी चली आ रही समस्या का स्थाई समाधान होना चाहिए। ऐसा नहीं किया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।