बिना धर्म संस्कार का जीवन बेकार है:जैनाचार्य विजय पुण्यरक्षित सूरि
सारंगपुर के शास्त्री स्कूल परिसर में आयोजित प्रवचन में समाजजनों को दी समझाइश

न्यूज, सारंगपुर।


सारंगपुर में सर्वप्रथमबार पदार्पण करने वाले जिनशासन ज्योतिर्पर सूरिरामचंद्र समुदाय के आध्यत्मिक प्रवचनकार जैनाचार्य विजय मुक्तिप्रभसूरीश्वरीजी महाराज के प्रशिष्यरत्न युवा प्रवचनकार जैनाचार्य पुण्यरक्षितसूरिजी महाराज ने सारंगपुर शहर के शास्त्री स्कूल में युवाओं एवं श्रावक भाईयो के लिए आयोजित मेरा जीवन सुगंधी बने विषय पर प्रेरणादायी धर्मप्रवचन में बताया था कि आपके कपड़े को सुंगधी बनाने के लिए आप इत्र-सेंट उपयोग करते है। लेकिन आपके जीवन को सुंगधी बनाने को इत्र की कोई आवश्यकता नहीं है। जीवन को सुगंधी बनाने को सदारचा अपेक्षित है। सदाचार  जीवन को नंदनवन बनाता है, दुराचार जीवन को उज्जडवन बनाता है। बिना धर्म संस्कार का जीवन बेकार है।
आपके घर में साबुदानी, इत्रदानी, फूलदानी, मच्छरदानी, गुडदानी सभी होगा। मगर खानदानी नहीं होगी तो सभी बेकार है। श्रीमंतो के घर में घूमने के लिए एक दो तीन कार होगी मगर संस्कार बिना सभी बेकार है। पैसा आपको श्रीमंत बनाएगा, संस्कार आपको सुखी बनाएगा।
महाराजश्री ने कहा कि आज एसी घर में रहनेवाले की कंडीशन अच्छी नहीं है। क्योंकि उनके जीवन में कोई धर्मसंस्कार नहीं है। बिना धर्मसंस्कार का जीवन संघर्षमय, पीडामय होगा। इस जगत में से विदाय रोते हुए पूर्व स्नेह, सहानुमति, सदारचा की सौरभ रखते जाओं। यदि संपत्ति चल गई तो कुछ नहीं खोया, यदि स्वास्थ्य चल गया तो कुछ गया। मगर यदि चरित्र चल गया तो सब कुछ चल गया। आपके जीवन को सुंगधी बनाने के लिए तीन भाव जरुरी है जिसमें सदभाव, स्नेह भाव तथा समर्पण भाव। महाराजश्री ने कहा कि माता पिता भक्ति पात्र है दया पात्र नहीं है। भूलना सबकुछ मगर मां बाप को मत भूलना। माता पिता को करो प्रणाम, जग में पाओ ऊंचा नाम। इस मौके पर बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।