ढाबों, होटलों सहित दुकानों पर काम कर रहे नाबालिग, खानापूर्ति में सरकारी अभियान अशिक्षा व आर्थिक परेशानी बड़ी वजह, जिमेदार बने मूकदर्शक।
ढाबों, होटलों सहित दुकानों पर काम कर रहे नाबालिग, खानापूर्ति में सरकारी अभियान
अशिक्षा व आर्थिक परेशानी बड़ी वजह, जिमेदार बने मूकदर्शक।
राजगढ़//
नाबालिग बच्चों से मजदूरी करवाना कानूनी अपराध है लेकिन राजगढ़ जिले में जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी की वजह से हजारों मासूम मजदूरी करने के लिए मजबूर हो रहे है। अशिक्षा और आर्थिक जरूरत, बच्चों को मजदूरी की आग में झोंक रही है, लेकिन इन्हें शिक्षा सहित अन्य तरह की सुविधाओं के लिए प्रयास जमीन पर दिखाई नहीं दे रहे। कागजों पर भले ही बच्चों को बाल श्रम से मुक्ति दिलाने के दावे किए जा रहे है, लेकिन हकीकत ये है कि हजारों मासूम सडकों पर घंटे खड़े रहकर काम कर रहे है और होटल और निजी दुकानों पर गंदगी तक साफ कर रहे है। देखा जाए तो बालश्रम कानून का पालन विशेषकर शहरी क्षेत्र में नहीं हो रहा है। अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने की वजह से बालश्रमिको की संख्या लगातार बड़ रही है।
होटलों, दुकानों पर काम करने को मजबूर नाबालिग :
पढ़ने की उम्र में नाबालिग मजबूरी में होटल, ढाबो में काम कर रहे हैं। कई बच्चे तो रात 10 बजे तक दुकान और होटलों पर काम करते देखे जा सकते हैं। सारंगपुर सहित जिले की शहरी क्षेत्र के होटल, ढाबा, किराना दुकान, जूस दुकानें, ऑटो पार्ट्स की दुकानों पर नाबालिग लडकों से काम कराया जा रहा है। पढने लिखने की उम्र में बच्चों के हाथों में कलम और किताबें होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में उनसे मजदूरी कराई जा रही है। सबसे बड़ी बात है की अधिकारी औपचारिक कार्रवाई करके खानापूर्ति कर देते हैं।
सिर्फ खानापूर्ति साबित हो रहे सरकारी अभियान :
बाल संरक्षण सप्ताह के नाम पर किए जाने वाले आयोजन बच्चों को मजदूरी की गर्त से निकालने में असफल होते है। अभियानों के तहत रैली व शपथ ग्रहण कार्यक्रम किए गए। इसमें विभिन्न माध्यम से बच्चों के कानूनी अधिकारों, सुरक्षा, बच्चों के प्रति बढ़ते अपराध, बाल मजदूरी, बाल विवाह, शिक्षा आदि गंभीर विषयों पर जागरुकता `के लिए नारे लगाकर प्रचार प्रसार किया जाता है, लेकिन इसका जिले के किसी भी शर में किसी प्रकार का जमीनी फायदा नहीं दिख रहा है।