एनएच-3 पर लगे 13849 पेड़ काटे, एनएच-52 पर दोगुना नहीं लगाए। पुरानी सड़क के मुकाबले विरान नजर आती है फोरलेन सड़क एनएचएआई अधिकारी बोले: पौधे लगाए हैं, लेकिन किसान बढने नहीं देते नेशनल हाईवे-52 पर ब्यावरा से देवास तक फोरलेन निर्माण में ली थी हजारों पेडों की बलि,
एनएच-3 पर लगे 13849 पेड़ काटे, एनएच-52 पर दोगुना नहीं लगाए।
पुरानी सड़क के मुकाबले विरान नजर आती है फोरलेन सड़क
एनएचएआई अधिकारी बोले: पौधे लगाए हैं, लेकिन किसान बढने नहीं देते
नेशनल हाईवे-52 पर ब्यावरा से देवास तक फोरलेन निर्माण में ली थी हजारों पेडों की बलि,
सत्यनारायण वैष्णव एडिटर इन चीफ।
नेशनल हाईवे-52 पर ब्यावरा से देवास तक 1609.48 करोड रुपए से 141 किमी लंबा फोरलेन बनाने में पुरानी एनएच-3 सड़क के आसपास लगे करीब 13 हजार 849 पेडों को वर्ष 2016 में काट दिया गया था। टेंडर शर्तों और नियमों के अनुरूप यहां दोगुना से ज्यादा संख्या में पौधे लगाना थे, लेकिन सडक निर्माता कंपनी ओरिएंटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने आधे पौधे भी नहीं लगाए। अगर 2019 में फोरलेन बनने के बाद पौधारोपण किया जाता तो इन पांच सालों में पौधे थोडे तो बडे होते, लेकिन इस पूरे फोरलेन के किनारों पर पेड-पौधे नजर नहीं आ रहे। हालांकि एनएचएआई अधिकारियों का कहना है कि हमने पौधे लगाए थे, लेकिन किसान पौधों को बढने नहीं देते।
बरसों पुराने हरे-भरे 13 हजार से ज्यादा पेडों को चिह्नित कर काट दिया गया था
गौरतलब है कि ओरिएंटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2016 के अंत में फोरलेन निर्माण शुरू किया। इस दौरान मार्ग निर्माण में बाधा बन रहे हरे-भरे और बरसों पुराने 13 हजार 849 पेड़ों को चिह्नित कर काट दिया गया। यहां आम, जामुन, नीम, इमली, पीपल, बरगद, नीलगिरी, कनेर, शीशम, बबूल, गुलमोहर सहित अन्य छायादार और फलदार पेड थे, जो हाईवे निर्माण के लिए बलि चढा दिए गए। इन पेडों की कटाई के दौरान ग्रामीणों ने विरोध भी किया था, लेकिन उसे दरकिनार कर दिया गया। सडक निर्माता कंपनी को काटे गए पेडों की तुलना में दोगुना से ज्यादा पौधे मार्ग के आसपास और डिवाइडर पर लगाना थे, लेकिन पौधे नहीं लगाने से सीमेंट कांक्रीट के 141 किमी लंबे इस रोड पर हरियाली नजर ही नहीं आ रही और मार्ग विरानसा नजर आता है। फोरलेन शुरू होने के समय शहरी क्षेत्रों के आसपास सड़क किनारे कुछ स्थानों पर पौधे लगाए थे और डिवाइडर पर हरी घास रोपी थी, लेकिन देखरेख के अभाव में ये पनप ही नहीं पाए और बढने से पहले ही दम तोड गए।
साढे चार हजार पौधे किसानों ने खराब कर दिए
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमित बांजल से चर्चा की गई और उनसे काटे गए पेडों की तुलना में दोगुना से ज्यादा पौधे लगाने पर सवाल किया गया। जिसके जवाब में उन्होंने किसानों द्वारा पौधों को खराब करने का तर्क दिया। उन्होंने कहा कि रोड बनने के बाद पौधरोपण किया गया था। लेकिन आसपास के किसान पौधों को पनपने नहीं देते। इस कारण करीब साढे चार हजार पौधे खराब हो चुके हैं। कई जगह पर नरवाई जलाने से भी पौधे जल गए। कुछ जगह लोग पौधों में केमिकल डाल देते हैं। श्री बांजल ने कहा कि हाईवे पर फेंसिंग लगाने का प्रावधान तो है नहीं, ऐसे में पौधे पनप नहीं सके। पौधों को बडा करने की जिम्मेदारी सभी की है।
यह भी कमियां
फोरलेन में जगह-जगह दरारें हो रही हैं। सरफेस उखड रही है, इस कारण वाहनों के टायर समय से पहले ही खराब हो रहे हैं। सरफेस उखडने से दोपहिया वाहन 60 और चार पहिया वाहन 80 की स्पीड पर आते ही जंप करने लगते हैं। महंगा टोल चुकाने के बाद भी राहगीरों को सपाट सडक का लाभ नहीं मिल रहा। कुछ स्थानों पर दरारों की मरम्मत की जाती है जिससें आवागमन भी बाधित होता है। इधर सडक निर्माण की कई कमियां भी अब सामने आ रही हैं। ग्राम मऊ में फ्लाई ओवर अगर गुलावता जोड़ तक बना दिया जाता तो यहां हादसों में कमी आती और यह जगह ब्लैक स्पॉट नहीं बनती। ऐसे ही कांकरिया जोड़ पर तारागंज रोड के पास भी फ्लाई ओवर की जरूरत थी, जो नहीं बनाया गया।
बोले जिम्मेदार
रोड बनने के बाद पौधरोपण किया गया था। लेकिन आसपास के किसान पौधों को पनपने नहीं देते। इस कारण करीब साढे चार हजार पौधे खराब हो चुके हैं।
सुमित बांजल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण।