बीते तीन महीने..... न लैपटॉप मिला न स्कूटी।कहां गई योजना। स्कूली बच्चों की प्रतिभाओं के प्रोत्साहन में सरकार का अड़ंगा
बीते तीन महीने..... न लैपटॉप मिला न स्कूटी।कहां गई योजना।
स्कूली बच्चों की प्रतिभाओं के प्रोत्साहन में सरकार का अड़ंगा
(सत्यनारायण वैष्णव)
मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने सरकार ने पहले लैपटॉप और फिर स्कूटी देने की योजना शुरू की थी, जिससे प्रथम श्रेणी में आने की होड़ के चलते बच्चों की शासकीय स्कूलों में उपस्थिति बढ़ी। परीक्षा परिणाम सुधरा। हर साल लैपटॉप पाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती गई। बीते साल स्कूल में टॉप करने वाले बच्चों को स्कूटी दी गई। जबकि साइकिल देने की योजना पहले से जारी है। अब इन योजनाओं पर सरकार ने ही अड़ंगा लगा दिया है। चालू शिक्षा सत्र को शुरू हुए तीन माह हो गए। हाल ही में तिमाही परीक्षाएं भी शुरू हो गई। लेकिन बीते सत्र में अच्छे अंकों से पास होने वाले बच्चों को अभी तक न लैपटॉप मिला न स्कूटी। आखिर इन योजनाओं का पैसा कहां गया, यह सवाल हर कहीं चर्चा में है। इंतजार करते करते अब तो उम्मीद भी खत्म हो गई है। स्कूटी, लैपटॉप देने की चर्चा भी विभाग में नहीं हो रही है। सूत्रों की माने तो साइकिल अभी आना शुरू हुई है, जिनका वितरण अक्टूबर नवंबर में ही हो सकता है। दरअसल केवल शिक्षा विभाग ही नहीं सरकार ने कई और विभागों की कुछ योजनाओं पर रोक लगा रखी है। विभागीय जानकारों की माने तो संबल योजना का पोर्टल भी कई दिनों से नहीं खुल रहा है। खेल विभाग से भी बच्चों की खेल गतिविधियों के लिए भी पहले की तरह राशि नहीं मिल रही है। एक ओर सरकार शिक्षा और खेलों को बढ़ावा देने के दावे करती है, दूसरी ओर ये दावे खोखले साबित हो रहे है। सरकारी आदेश भी है कि वित्त विभाग की अनुमति के बिना योजनाओं के लिए धन नहीं निकाला जा सकता है।
ठंडे बस्ते में योजना :
खेल विभाग के खेलो इंडिया एमपी, सहकारिता विभाग की मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना, मेधावी छात्राओं के कॉलेज प्रवेश पर 25 हजार रुपए, लोक निर्माण विभाग की विभागीय संपत्तियों के संधारण, नए आईटी पार्क की स्थापना, पीएम सड़कों के नवीनीकरण जैसी योजनाएं ठंडे बस्ते में है। स्कूल शिक्षा विभाग की कई योजनाएं और मद है, जो फिलहाल रुकी हुई है। सबसे ज्यादा लोकप्रिय योजना बारहवीं पास बच्चों को 75 फीसदी से ज्यादा अंक पर लैपटॉप मिलना था। इसके अलावा नवमीं की छात्राओं को साइकिल का प्रावधान था। हर स्कूल के टॉपर बच्चे को स्कूटी देने की योजना शुरू की गई थी। इनमें से किसी का लाभ इस वर्ष नहीं मिल पाया। यहां तक कि निःशुल्क पुस्तक वितरण योजना भी प्रभावित हुई है। इस साल पुस्तकें भी सभी विषयों की नहीं मिल सकी है।
पढ़ाई और खेल पर असर :
बच्चों से जुड़ी योजनाओं पर अचानक रोक से बच्चों के उत्साह में कमी आना लाजमी है। प्रतिभाशाली बच्चों को प्रोत्साहन नहीं मिला है तो खिलाड़ियों को खेलने के लिए सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। केवल खेलो इंडिया एमपी से ही उम्मीदें हैं, जिसके तहत दिसंबर-जनवरी में प्रतियोगिताएं होती हैं। लेकिन उससे पहले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है।
नहीं मिले हैं आदेश
अभी तक लैपटॉप और स्कूटी वितरण योजना के तहत कोई आदेश नहीं मिले हैं। यह मामला शासन स्तर का है, किताबें अधिकतर स्कूलों में पहुंच चुकी हैं। जहां कोई कमी होगी, दूसरी जगह से पूरी कर देंगे।
बीएल सूर्यवंशी बीईओ सारंगपुर