गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष में सरस्वती शिशु मंदिर में आचार्य सम्मान समारोह संपन्न। आचार्य सदैव वंदनीय - गौतम टेंटवाल
*आचार्य सदैव वंदनीय है-गौतम टेटवाल*
स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर शिवाजी नगर भोपाल में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आचार्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया संस्था के प्रचार प्रमुख केशव मिश्रा ने बताया कि इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश शासन की कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री गौतम टेटवाल एवं विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री श्निखिलेश महेश्वरी विद्यालय को संचालित करने वाली समिति सरस्वती विद्या मंडल समिति के अध्यक्ष डॉ क्षत्रवीर सिंह राठौर सहित आचार्य परिवार एवं भैया बहिन उपस्थित थे कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती मां के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर सरस्वती वंदना से प्रारंभ किया गया कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रांतीय संगठन मंत्री निखिलेश महेश्वरी ने कहा कि मानव जीवन में गुरु प्रथम स्थान पर है सदैव से रहा है एवं सदैव रहेगा ।यदि किसी ने एक अक्षर ज्ञान कराया है वही हमारा गुरु है। गुरु सदैव गरिमा प्राप्त करता है ।गुरु शिष्य को ऊंचाई पर देखकर प्रसन्न होता है दुनिया में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है। गुरु को अपने महत्व को समझकर गुरु परंपरा का निर्वहन करना चाहिए। शिक्षक चंदन के पेड़ के समान है जो सदैव अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व से समाज और राष्ट्र को सुगंधित करता है वह अपने परिश्रम से बुरी संगत में पड़े विद्यार्थियों को भी सन्मार्ग पर लाकर उनका जीवन प्रकाशमय कर देता है ।आचार्य को भी अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ देना है। जो अच्छा बनाता है अच्छा पड़ता है, छात्र उसी का सम्मान करते है, और सदैव उसे याद करते हैं अतः शिक्षकों को छात्रों की क्षमताओं को समझना उनका कर्तव्य है छात्रों को विकास के अवसर कक्षा कक्ष ,मैदान एवं मंच देना शिक्षक का कार्य है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मंत्री गौतम टेटवाल (कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार) ने अपने उद्बोधन में बोलते हुए कहा कि विद्या भारती के विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर में आचार्य के रूप में सेवा करना, इस जन्म का नहीं बल्कि पूर्व जन्म के पुण्य कर्मों का परिणाम है। सरस्वती शिशु मंदिर राष्ट्रभक्त बालकों का निर्माण करता है ।और इस पुण्य कार्य में लगे सभी आचार्य एवं दीदी सदैव वंदनीय अभिनंदनीय हैं ।आगे विचार रखते हुए उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण आचार्य जीवन एवं विद्यार्थी जीवन के विचार भी व्यक्त किये।सरस्वती शिशु मंदिर सारंगपुर में आचार्य रहते हुए उन्होंने विद्यालय की गतिविधियों को याद करते हुए कहा कि आज सरस्वती शिशु मंदिर में आकर मुझे अपने परिवार में की अनुभूति हुई ।आज सरस्वती शिशु मंदिर के छात्र सभी क्षेत्रों में आगे बढ़कर के अपनी अमूल्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं ।सरस्वती शिशु मंदिर का आचार्य सामान्य नहीं है उन्होंने आचार्य चाणक्य के कथन को दोहराते हुए कहा की आचार्य सामान्य नहीं बल्कि प्रलय और निर्माण उसकी गोद में खेलते हैं ।अर्थात आचार्य पद सदैव वंदनीय है आज इस अवसर पर मैं सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाई देता हूं इस कार्यक्रम में अतिथियों ने विद्यालय की आचार्य वीडियो सेवक सेविकाओं सभी को उपहार प्रदान कर सम्मान किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित डॉ.
क्षत्रवीर सिंह राठौर ने आचार्य के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहा कि विद्या भारती में आचार्य एक व्रत है, एक साधना है, इस मार्ग पर चलना सहज नहीं है शिशु मंदिर के आचार्य अपने संस्कारों एवं अपने आचरण से छात्रों को राष्ट्रभक्ति एवं समाज सेवा की शिक्षा देता है। गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा होता है इसलिए गुरु के प्रति सदैव श्रद्धा एवं सम्मान का भाव बना रहना चाहिए। आज के युग में छात्रों को कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा कंप्यूटर शिक्षा का ज्ञान कराना आवश्यक है और समय की आवश्यकता भी है। उन्होंने इस अवसर पर समस्त गुरुजनों और आचार्य परिवार को शुभकामना और बधाई दी । कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत समिति के सचिव आशीष बाजपेई एवं भुवनेश जाट ने किया एवं परिचय संस्था प्राचार्य राजेश गोस्वामी ने कराया कार्यक्रम के अंत में कोषाध्यक्ष महेंद प्रताप पवार ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन आकृति चौहान ने किया एवं दीदी उपासना,खुशी यादव ऋषिका , स्वाति आदि ने भी विचार रखे।