अधिकारी जनप्रतिनिधि ले सुध तो हो बसेरा, मरीजों के परिजनों को रात बिताने मिलेगा आशियाना

पुराने अस्पताल को तोड़ने के बजाय भवन की करे मरम्मत, होगा सदपयोग

सारंगपुर

सिविल अस्पताल परिसर में अनुपयोगी हो चुके सिविल अस्पताल के पुराने भवन को तोड़ने की आए दिन मांग उठ रही है। ऐसे में अब इस भवन को संबंधित विभाग के ऑफिस संबंधित कार्य करने सहित रैन बसेरा भवन बनाने की मांग भी होने लगी है। यदि इस पुराने भवन को न तोड़ते हुए रेन बसेरा बना दिया जाता है तो अस्पताल आने वाले मरीजों के परिजनों को रुकने के लिए सहुलियत हो सकती है।
क्योंकि मरीजों के साथ आने वाले परिजनों विशेषकर महिलाओं को रात में के लिए बेहद परेशानियां उठाना पड़ती है। अभी हालात यह है कि मरीजों के परिजनों को या तो बरामदे में या खुले आसमान के नीचे राते बिताना पड़ती है। यहां 100 बिस्तर अस्पताल बनने के बाद अब मरीजों की संख्या भी पहले से काफी बढ़ गई है। इस के साथ इन मरीजों के साथ आने वाले परिजनों को संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है। लेकिन मरीजों के साथ दूर-दराज के गांवों से आने वाले परिजनों की सुविधाओं के लिए सिविल अस्पताल परिसर में कोई व्यवस्था नहीं है। पूर्व में तात्कालीन एसडीएम राकेश मोहन त्रिपाठी ने पुराने व जर्जर हो रहे भवनों का निरीक्षण कर इन्हें तोड़ने के लिए संबंधित विभागों की रिपोर्ट मांगी थी, ताकि इन्हे शीघ्र तोड़ा जाए। भवन निर्माण से संबंधित इंजीनियर की माने तो अस्पताल के पुराने भवन को तोड़ने में जो खर्च करने की योजना है, उस खर्च से काफी कम लागत में इस भवन की पूर्ण मरम्मत हो सकती है और मरम्मत के बाद पुराने भवन का उपयोग किसी नए भवन के ही तरह किया जा सकता है।

अस्पताल में हो रही चोरियों पर अंकुश लगेगा :

नए अस्पताल के सामने खंडरनुमा अस्पताल में बेशकीमती खिड़की, दरवाजे, जाली, जनरेटर, चद्दर, इलेक्ट्रिक, उपकरण आदि लगे हुए थे। लेकिन भवन में सालों से कोई कार्य न होने के कारण पुराने अस्पताल भवन भवन लावारिश हालत में है। हालत यह है नवीन 100 बिस्तरीय अस्पताल बनने के बाद से लेकर आज तक उक्त भवन में लगे सामानों की लगातार चोरी हो रही है।

पार्किंग एवं अन्य सुविधा का भी नहीं मिल रहा लाभ :

सिविल अस्पताल निर्माण के समय जो प्रस्ताव तैयार हुआ था, उसमें अस्पताल के सामने गॉर्डन पार्किंग के साथ सीसी सड़क पेवर्स एवं अस्पताल में आने वाले मरीजों के परिजनों को बैठने की व्यवस्था के लिए प्राकलन स्वीकृत हुआ था। किंतु उस प्राकलन का 5 वर्ष बीतने के बाद भी धरातल पर कोई असर नहीं दिख रहा है। टीनशेड लगाकर ठेकेदार और विभाग ने पल्ला झाड़ लिया है। 

लौट सकती है अस्पताल की सुंदरता :

नगरवासियों का कहना है कि जितनी रूचि पुराने भवनों को तोड़ने में ली जा रही है। उससे आधी रूचि भी नए भवन स्वीकृत कराने में नहीं है। हालत यह है कि पुराने भवनों की मरम्मत कराने में भी कोई विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। नगर की पुरानी जनपद रेस्ट हाउस, पुरातत्व विभाग सहित अनेक विभाग देखते देखते जीण-शीर्ण के साथ-साथ खंडहर में तब्दील हो गए है। सिविल अस्पताल परिसर में जिस पुराने भवन के तोड़ने पर विचार किया जा रहा है। वहां पूर्व में व्यवस्थित अस्पताल लगा करत था। नया भवन बनने के बाद अस्पताल को वहां शिफ्ट कर दिया गया। तब से पुराना अस्पताल भवन अनुपयोगी हो गया है जबकि उपयोग की दृष्टि से यह भवन अब भी बेकार नहीं है। शासकीय स्तर पर इसको डिसमेंटल करने की अवधि में भो कार्फ समय है। ऐसे में अगर इस का समय भवन को न तोड़ते हुए रैन बसेरा बना दिया जाए तो इस भवन क बेहतर उपयोग और लोगों को खासी सुविधाएं मिल सकती है।

खाली भवन में पनप रहे जीव-जंतु :

उक्त भवन में जहरीले जीव जंतु भी पनप रहे है और दूसरे छोर पर देर रात अनैतिक गतिविधियों की भी जनचर्चा हो रही है। अगर उक्त भवन में रैन बसेरा के साथ साथ विभागीए ऑफिस के कार्यों की शुरुआत कर दी जाए तो यह अस्पताल चाक-चौबंद तो दिखाई ही देगा साथ ही जहरीले जीवजंतु के डर से भी लोगों को छुटकारा मिलेगा।