अब सिपरी बताएगा किस निर्माण के लिए कौनसी जगह है उपयुक्त तब ही मिलेगी स्वीकृति मनरेगा के कामों में उपयुक्त स्थल चयन करने विकसित किया गया सॉफ्टवेयर

अब सिपरी बताएगा किस निर्माण के लिए कौनसी जगह है उपयुक्त तब ही मिलेगी स्वीकृति
मनरेगा के कामों में उपयुक्त स्थल चयन करने विकसित किया गया सॉफ्टवेयर
न्यूज, सारंगपुर।
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी में फर्जी मजदूरी का फर्जीवाडा रोकने वाले ऐप के बाद, अब मनरेगा में काम के लिए चयनित किए गए स्थल का सिपरी सॉफ्टवेयर से परीक्षण किया जाएगा। अधिकारियों की माने तो सिपरी सॉटवेयर के परीक्षण में पास होने के बाद ही चयनित स्थल पर काम की स्वीकृति दी जाएगी। साथ ही अप्रैेल से सारंगपुर जनपद पंचायत विभाग में सिपरी सॉटवेयर का उपयोग शुरू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि इस सॉटवेयर से जहां अधिकारियों को सुविधा होगी, वहीं पंचायतों द्वारा मनमर्जी से चयनित किए जाने वाले स्थलों पर रोक लगेगी।
मनरेगा के तहत स्वीकृत किए जाने वाले बहुत से कामों में हर समय गलत स्थल चयन को लेकर शिकायतें आती रहती थी। वहीं पंचायतों में आपसी विरोध के चलते सरकारी जमीन की जगह निजी जमीन पर योजना के काम स्वीकृत करने को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित होती थी। पंचायतों में बजट को जल्द ठिकाने लगाने के लिए कई बार गलत स्थल पर योजनाओं का चयन किया जाता था। इसका ही परिणाम है कि सारंगपुर में मनरेगा से सैकडों से अधिक तालाब और हजारों कुंए बनने के बाद भी गांव प्यासे हैं। ऐसे में अब इस परेशानी को दूर करने के लिए शासन ने सिपरी (सॉटवेयर फॉर आइडेंटीफिकेशन एंड प्लानिंग ऑफ रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर) सॉटवेयर विकसित किया है।
सॉटवेयर बताएगा कि जमीन कैसी
जानकारी मिली है कि यदि तालाब निर्माण के लिए जमीन चयनित की जा रही है तो सिपरी सॉटवेयर बताएगा कि यह जमीन कितनी ढालू है। इसमें पानी आने के स्रोत कैसे हैं, इसका कैचमेंट एरिया कैसा है, जमीन के नीचे क्रेक्चर तो नहीं कि पानी रिस जाए। साथ ही यह सॉटवेयर यह भी बता देगा कि चयनित की जा रही जमीन सरकारी है, वन विभाग की है या फिर निजी है। सिपरी से जमीन का चयन होने के बाद अब गडबडी नहीं होगी।
आधुनिक तकनीक से लैस है सॉफ्टवेयर
जनपद सीईओ श्रीगोविल ने बताया कि यह सॉफ्टवेयर जियो मार्फोलॉजी और हाइड्रोलॉजी जैसी आधुनिक तकनीक से संरचनाओं के सही स्थान चयन में मदद करता है। इस सॉफ्टवेयर को प्रदेश में पांच सरकारी योजनाओं के सर्वेक्षण के लिए विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि इसकी मदद से जमीन का अध्ययन करने में मदद मिलती है, जिससे सही योजना के लिए सही स्थल का चयन किया जा सकता है।
सॉफ्टवेयर में सब कुछ समाहित
मनरेगा एडीपीओ कृपाल पैरवाल ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर में भूमि खसरा नंबर, मृदा का प्रकार, मानचित्र, भूमि का प्रकार, वन सीमा, भू-विज्ञान मानचित्र, रेखांकन परत, भू-आकृति विज्ञान मानचित्र, जल निकासी मानचित्र, उच्च रिजॉल्यूशन के साथ आधार मानचित्र, ओपन स्ट्रीट मैप, गूगल सैटेलाइट, जीआईएस उपकरण उपलब्ध हैं। ऐसे में काम के लिए जिम्मेदारों को अलग अलग परेशान नहीं होना पडेगा।
होगा साइट सिलेक्शन
शासन के सिपरी सॉफ्टवेयर से संबंधित स्थानों की जानकारी स्वयं सामने आ जाएगी। साथ ही पुरानी संरचनाओं की जानकारी भी आसानी से मिल जाएगी, इस सॉफ्टवेयर से जमीन में गडबडी भी नहीं होगी।
हेमेंद्र गोविल, सीईओ, जनपद सारंगपुर।