सारंगपुर में नरवाई जलाने वालों पर सैटेलाइट से निगरानी:
सारंगपुर सहित छ जनपदों में 35 गांव चिंहित, तहसीलदार की अपील- नरवाई जलाना बंद करें
 

न्यूज, सारंगपुर।
कृषि विभाग ने खेतों में नरवाई (फसल अवशेष) जलाने की घटनाओं पर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। विभाग ने सैटेलाइट तकनीक की मदद से नरवाई जलाने के सारंगपुर जनपद के 18 गांव सहित जिले के 6 जनपदों में 35 गांव की पहचान की है। इन सभी गांवो में प्रकरण बनाकर दोषी किसानों पर अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी।
जागरूकता के बावजूद जारी है नरवाई जलाना
पिछले कई दिनों से कृषि विभाग सहित अधिकारी-कर्मचारी गांव-गांव जाकर जागरूकता फैलाकर किसानों को नरवाई प्रबंधन के उपायों की जानकारी दे रहे है। फिर भी किसानों द्वारा बडे पैमाने पर खेतों में नरवाई जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है, बल्कि पर्यावरण में प्रदूषण भी बढ रहा है।
सैटेलाइट से निगरानी, 6 जनपदों में 35 गांव चिंहित
सारंगपुर तहसीलदार आकाश शर्मा ने बताया कि नरवाई जलाने की घटनाओं की निगरानी अब सैटेलाइट के माध्यम से की जा रही है। सैटेलाइट से प्रतिदिन तहसीलवार और ग्रामवार आंकडे प्राप्त हो रहे हैं। सारंगपुर अनुभाग के अंतर्गत 18 गांवे और अन्य विकासखंडों में अब तक कुल 35 गांव चिन्हित किए गए हैं। इन गांवो में जिन किसानों के नरवाई जलाई है उन पर प्रकरण बनाकर संबंधित किसानों के खिलाफ कृषि व राजस्व विभाग की संयुक्त टीमों द्वारा पंचनामे तैयार कर नोटिस जारी किए जाएंगे। तहसीलदारों के माध्यम से अर्थदंड अधिरोपित करने की कार्रवाई की जाएगी।
इन गांवो को किया किया चिंहित
सारंगपुर अनुविभाग में नरवाई जलाने वाले जिन गांवो को सेैटेलाइट के माध्यम से चिंहित किया गया हेै उनमें पाडल्यादान, पीपल्या तवक्कूल, मिर्जापुर, अमलार, बरनावद, आसारेटा रावत, अलूनी, करोंदी, तलेन, फूलपुरा, मगराना, रामपुरिया, धनोरा, पटाडिया डाबी, बिलोदा पुर्बिया, नैनवाड़ा और नजीमाबाद गांव शामिल है।
कलेक्टर के निर्देश पर चल रहा है जन-जागरूकता अभियान
कलेक्टर के मार्गदर्शन में कृषि विभाग की ओर से प्रत्येक ग्राम पंचायत में कृषक संगोष्ठियों के माध्यम से किसानों को नरवाई न जलाने की सलाह दी जा रही है। ग्राम स्तर पर कृषि, राजस्व और पंचायत विभागों के समन्वय से किसानों को इस कार्य के दुष्परिणामों से अवगत कराया जा रहा है।
ये वैकल्पिक उपाय दिए जा रहे है
सारंगपुर कृषि विकास अधिकारी एसके उपाध्याय ने बताया कि हमारे द्वारा स्ट्रॉरीपर, भूसामशीन, मल्चर मशीन, जुगाडु यंत्र, सुपर सीडर आदि यंत्रों के उपयोग की जानकारी दी जा रही है। किसानों को बताया जा रहा है कि किस प्रकार इन यंत्रों से फसल अवशेष को खेत में ही जैविक खाद में बदला जा सकता है और अगली फसल की बुआई बिना नरवाई जलाए की जा सकती है। इधर तहसीलदार आकाश शर्मा ने किसानों से अपील की है कि वे मिट्टी की उर्वरता, जीव-जंतुओं की रक्षा और पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए नरवाई जलाना बंद करें और विभाग द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक उपायों को अपनाएं।
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