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भगवान महावीर यह भगवान आदिनाथ तीर्थंकर के वंशज थे:सतं श्री
हमारे 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मोत्सव पर कृति स्तंभ परिसर में हुए कार्यक्रम

 न्यूज, सारंगपुर।
हमारे 24वें तीर्थंकर भगवान का 2642 व जन्म दिवस मनाने के लिए हम आज यहां पर एकत्रित हुए हैं हमारे 24 तीर्थंकर में से अंतिम तीर्थंकर थे। भगवान महावीर यह भगवान आदिनाथ तीर्थंकर के वंशज थे। भगवान आदिनाथ के समोशरण में एक ने पूछा है भगवान कोई ऐसा जीव है। इस सभा मे जो आने वाले 24 तीर्थंकर में से कोई बनेगा तो आदिनाथ भगवान तो भगवान थे। उन्होंने कहा यह मरीचि का जो जीव है। वह आने वाले तीर्थंकरों में से तीर्थंकर बनेगा। जैसे ही भगवान ने बोला और वह मरीचि का जीव उठकर चले गया। जब मैं तीर्थंकर बनुगा तो मे यहां क्यों बैथु और वह चले गए। ऐसे गए की 22 तीर्थंकर और निकल गए वह तीर्थंकर बन नहीं पाए जब वह शेर की पर्याय में थे। एक शिकार उठाकर खाने ही वाले थे वैसे ही दो मुनिराज ने देखा है भगवान यह जीव तीर्थंकर बनने वाला था। उन्होंने उपदेश दिया शेर ने जब वाणी सुनी और वह शिकार छोड दिया सूखे पत्ते खाकर जीवन यापन किया और शेर ने देह को त्याग दिया और महावीर के रूप में उन्होंने जन्म लिया और वह तीर्थंकर महावीर बने मैं आपको यह कहानी या कोई दृष्टांत नहीं बता रहा हूं एक व्यक्ति  भूलकर, सुधार कर, भगवान बन सकता है। हम अपनी गलती क्यों स्वीकार नहीं करते क्यों एहसास नहीं होता कि मैं गलत हूं आपके विपरीत कोई कार्य होता है तो आप गलती स्वीकार न करते हुए आप हम में रहते हैं जो मुझे कार्यक्रम नहीं करना मुझे इस पद पर नहीं रहना क्या मुर्गा बाढ नहीं देगा तो दिन नहीं होगा और सब कार्य भी वैसे ही होंगे। जो आपके ना होने से कोई कार्यक्रम नहीं होगा यह आपकी गलतफहमी है घमंड है। तुम्हारे पुण्य में नहीं था इसलिए आप इस ऐसे कार्यक्रम के साक्षी नहीं बन पाते हैं तो कहने का तात्पर्य यह है कि हमें विनम्र रहना चाहिए। यदि हमसे कोई गलती होती है तो हमें उसे गलती को स्वीकार करना चाहिए। हर बात अपने अहम के अनुसार नहीं करना चाहिए यदि आप गलती करते हैं भूल करते हैं और उसमें सुधार कर आगे बढते हैं तो आपका जीवन मोक्ष की प्राप्ति की ओर अग्रसर रहेगा यह उधर उपाध्याय मुनि श्री 108 विहँसत सागर जी महाराज ने श्री जैन महावीर कीर्ती स्तंभ पर महावीर जन्म कल्याण के अवसर पर सकल जैन समाज को दिए। उपाध्याय मन ए 108 व्यसंथ सागर जी श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर से ठीक सैया 4:30 बजे सकल जैन युवा मंच के अध्यक्ष विवेक जैन एवं मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष पारस जैन और उनकी पूरी युवा टीम के साथ घोष के साथ 4:30 बजे श्री महावीर कीर्ति स्तंभ पर आए पूरे समाज जन ने कीर्ति स्तंभ पर मुनि श्री का भव्य स्वागत अभिनंदन कर उन्हें उच्च स्थान पर विराजमान कर सकल जैन समाज के प्रवक्ता मनोज जैन ने मुनि श्री के आसन ग्रहण करने के पश्चात दोनों हाथ जोड कर मुनि श्री से कार्यक्रम प्रारंभ करने की आज्ञा एवं आशीर्वाद माँगा मुनि श्री आज्ञा एवं आशीर्वाद प्राप्त होने के पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान आदिनाथ गणाचार्य 108 विराग सागर जी के चित्र के आगे दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया दीप प्रज्वलन सकल जैन समाज के अध्यक्ष निर्मल जैन, सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विजय जैन और स्थानक समाज के अरविंद चौधरी के द्वारा किया गया। इसके पश्चात कुमारी अवनी जैन ने मंगलाचरण किया। मंगला चरण के पश्चात शास्त्र भेट का कार्यक्रम किया गया शास्त्र महावीर दिगंबर जैन मंदिर के अध्यक्ष डॉ लतेश सिंघई एवं श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अध्यक्ष सुमत जैन के द्वारा दिए गए। इसके पश्चात सकल जैन युवा मंच के अध्यक्ष विवेक जैन के द्वारा श्रीफल भेट किया। श्रीफल भेट करने में मुनि संघ सेवा समिति के अध्यक्ष पारस जैन ,नरेंद्र जैन, चंद्र कुमार जैन, श्रीपाल जैन, गुणधर जैन, अनिल जैन, विनोद लोढा, पंकज डैडी, आशीष जैन, अजय जैन, दिनेश लोढा, अभय जैन अरिहंत ने श्री फल भेट किये गये। तत्पश्चात मुनि श्री करबद्ध निवेदन करते हुए आज के मंगल प्रवचन का निवेदन किया और मुनिश्री के प्रवचन हुए कार्यक्रम का आभार एवं सफल संचालन सकल जैन समाज के प्रवक्ता मनोज जैन के द्वारा किया गया। तत्पश्चात मुनि श्री पुणे महावीर दिगंबर जैन मंदिर की ओर प्रस्थान कर गए और समस्त सकल जैन समाज ने महावीर जैन कल्याणक के अवसर पर स्वामी अवश्य का आनंद लेते हुए सभी समाजजन को महावीर जन्म कल्याण की बधाई दी उसी के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस मौके पर अनिमेश जैन, अंकित जैन, अनमोल जैन आदि उपस्थित थे।
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