पशु पालन विभाग खुद पडा बीमार, बेजुबानों को नहीं मिल रहा इलाज
जिले में में स्वीकृत 32 चिकित्सकों के पद में से 17 पद रिक्त  सिर्फ 15 डाक्टर पदस्थ।
पशुपालन और डेयरी विभाग में 70 नए सहायक पशु चिकित्सको को सीएम ने चार दिन पहले सौंपे नियुक्ति पत्र, जिले को नहीं मिला एक भी डाक्टर।

राजगढ़ 

सारंगपुर सहित जिले के पशु पालन एवं पशु चिकित्सा विभाग में स्टाफ और संसाधनों की कमी का खामियाजा बेजुबान जानवरों को उठाना पड़ रहा है। हालत ये है कि जरूरत के समय में वेटरनरी डॉक्टर मिल ही नहीं पाते हैं। जिले का पशुधन विभाग अरसे से बीमार है। यानी पशु चिकित्सालयों में डॉक्टर्स और स्टाफ की भारी कमी है। अब सवाल ये उठता है कि अमले की कमी और संसाधनों के अभाव में जानवरों की बेहतरी कैसे होगी। जिले में पशु विभाग के अंतर्गत चिकित्सालय में जानवरों के इलाज, टीकाकरण और देखभाल के लिए संस्थान संचालित हैं, जिनके लिए महज 32 पशु चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं।  इसमें से भी 15 ही काम कर रहे हैं, जबकि 17 पद पूरी तरह से रिक्त  हैं। इनकी भरपाई नहीं हो पा रही है।  हालत ये है कि जरूरत के समय में वेटरनरी चिकित्सक नहीं मिलते पाते हैं। पशुपालन के तौर पर अपना व्यवसाय करने वाले पशुपालक हों या फिर घर में पशुओं को पालने वाले लोग, किसी को भी जरूरत पडने पर ठीक समय पर अच्छे वेटरनरी चिकित्सक नहीं मिलते, जिससे कई बार जानवरों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है।

पशु पालक रामबाबू परमार, नीतेश परमार का कहना है कि जिले में अच्छे वेटरनरी डॉक्टरों का अभाव है। जो हैं भी उन पर भी सरकारी कार्यों का बोझ इतना ज्यादा है कि वह जानवरों का इलाज ठीक से नहीं कर पाते। फोन करने पर उनका फोन रिसीव नहीं होता, घर आकर इलाज करना तो दूर की बात है. रात को अगर किसी जानवर की तबीयत खराब हो या आपात स्थिति में किसी पशु को इलाज की जरूरत हो, तो उसकी मौत तय है।
15 पदस्थ, 17 पद रिक्त
राजगढ़ जिले में 6 ब्लाक की बात करें तो यह पशु चिकित्सा विभाग में स्वीकृत पद 32 हैं, लेकिन सिर्फ 15 कार्यरत हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार सारंगपुर और खिलचीपुर पशु चिकित्सालय में 1-1, नरसिंहगढ़, जीरापुर में 2-2, ब्यावरा में 3 और राजगढ़ में 4 कुल मिलकर 12 डाक्टर अस्पतालो में कार्यरत है। जिले में 15 डाक्टर पदस्थ है।
विडम्बना: प्रदेश में 70 डाक्टरों की नई नियुक्ति, जिले को एक भी नहीं मिला
विगत 10 जनवरी को भोपाल के रवींद्र भवन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शासकीय सेवा में नियुक्ति पाने वाले पशुपालन और डेयरी विभाग के 70 सहायक पशु चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए है। जबकि राजगढ़ में 17 डाक्टरों के पद रिक्त  है। 32 में से 15 डाक्टर ही जिले के करीब 7 लाख पशुओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी संभाल रहे है। लेकिन जिले को एक भी डाक्टर नहीं मिला है। जबकि उक्त कार्यक्रम में सीएम ने कहा था कि राजस्व विभाग, कृषि और पशुपालन विभाग प्रदेश की उन्नाति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमारा लक्ष्य किसानों को समृद्ध करना और प्रदेश को विकास के नए आयाम तक पहुंचाना है। गौपालन, कृषि और पशुपालन की योजनाएं इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं। इसके उलट डाक्टरों की कमी से गौपालन में सबसे बड़ी दुविधा पैदा कर रही है।
इनका कहना है
जिले के लिए सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि राजगढ़ जिले में दो मंत्री, एक सांसद और तीन विधायक भाजपा के होने के बाद भी एक भी डाक्टर नहीं मिला है। भाजपा वाले गोवंश की चिंता की बात करते है लेकिन हकीकत में इन्हें कोई चिंता नहीं है। चिंता होती तो जिले को 10 नए डाक्टर मिलना थे, लेकिन यह के जनप्रतिनिधि इस क्षेत्र में गंभीरता नहीं दिखाते है, इसलिए एक भी नया डाक्टर नहीं मिला है।
प्रकाश पुरोहित, अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, राजगढ़।
आसपास क्षेत्र के गावों में ज्यादातर लोग पशुपालन से ही अपनी आजीविका चलाते हैं। क्योंकि, यहां पर भेड, बकरी, गाय, बैल आदि मवेशियों को सबसे ज्यादा पालते हैं। यहां पर किसी के मवेशी बीमार होने पर अस्पताल में डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। डाक्टरों की पदपूर्ति होनी चाहिए।
नितेश परमार, पशु पालक।
*बोले जिम्मेदार*
जिले में कुल 32 डाक्टरों की पद स्वीकृत है। 15 डाक्टर जिले में पदस्थ है और 17 पद रिक्त है। हमारे  द्वारा  रिक्त पर पदपूर्ति के लिए शासन को समय-समय पर पत्र लिखा जाता है। नियुक्ति शासन स्तर का मामला है।
एमपी कुशवाह, उपसंचालक, पशु पालन विभाग, राजगढ़।
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