सिस्टम पर तो सवाल उठेंगे ही,नियमों की अनदेखी पर खामोश रहता महकमा। बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़

जर्जर स्कूल वाहन दे रहे दुर्घटना को आमंत्रण,नियमों की उड़ा रहे धज्जियां।

सत्यनारायण वैष्णव (एडिटर इन चीफ)

सारंगपुर नगर सहित जिले  के कई निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नहीं मान रहे हैं। स्कूल वाहन पालिसी का स्कूलों की और से पालन नहीं किया जा रहा है और न ही प्रशासन ही इसके लिए जागरूक है। कई स्कूल संचालक कंडम हो चुके वाहन को रंगाई पुताई करा कर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो कई स्कूलों में 15 वर्ष की उम्र पार कर चुके वाहनों को चलाया जा रहा है। वहीं कुछ स्कूल संचालकों ने निजी वाहनों को स्कूलों के बच्चों को ढोने के लिए रखा है। यह ऐसे निजी वाहन है जिनमें किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता है। न तो इन वाहनों पर स्कूल का नाम लिखा होता है और न ही इसका रंग पीला होता है। नियम के मुताबिक वो ऐसा नहीं कर सकते हैं। अगर कोई दुर्घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की बनती है।

आखिर कौन होगा जिम्मेदार :

वाहनों से अपना भविष्य सुधारने जा रहे नौनिहाल कब दुर्घटना का शिकार हो जाएं यह कोई नहीं जानता क्योंकि नगर की सड़कों पर नियम विरुद्ध तरीके से स्कूल के बच्चों को लेकर अनियंत्रित गति से दौड़ रहे वाहन जिन्हे लेकर न तो स्कूल प्रबंधन गंभीर नजर आता है और ना ही अभिभावक। नगर के निजी एवं शासकीय स्कूलों तक बच्चों को लाने ले जाने वाले वाहनों में मानक पैमानों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

अनुबंध वाहन नियमों की उड़ा रहे धज्जियां :

देखने में आया है की अप्रशिक्षित चालकों द्वारा वाहन चलाना बिना वैध परमिट बिना वैध लाइसेंस की अनियंत्रित गति से वाहन चलाना वाहनों में गैस किट का उपयोग करना बिना नंबर प्लेट के वाहनों का होना, वाहनों में प्राथमिक उपचार व अग्निशमन यंत्रों का उपयोग ना होना, बिना बीमा फिटनेस खिड़कियों में सुरक्षा व्यवस्था ना होना, मात्रा से अधिक बच्चों को वाहन में ले जाना। इस प्रकार अनेक अनियमितताएं शामिल है जो कि वाहन मालिकों द्वारा घोर लापरवाही की श्रेणी में आती हैं।

अभिभावक का भी गैर जिम्मेदारा रवैया :

नगर में निजी एवं शासकीय स्कूलों में भेजे जा रहे छत्र छात्राओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अभिभावकगण भी वाहनों को लेकर संवेदनशील नहीं है। वे लगातार वाहन मालिकों गैर जिम्मेदाराना रवैया और हठधर्मिता को नजर अंदाज कर लगातार उन्हीं वाहनों से बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए बाध्य होते हैं जिनमें सुरक्षा व्यवस्था के मानक पैमानों को पूरा नहीं किया जाता है। आखिर ऐसे क्या कारण है कि वे लगातार अपने बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाए हुए हैं।

दुर्घटना की स्थिति में जिम्मेदार कौन :

ऐसी परिस्थिति में जब अभिभावक स्वयं अपने नौनिहाल बच्चों को स्कूल ले जा रहे अमानक वाहन को लगातार नजरअंदाज करते हैं वाहन मालिक के द्वारा बिना प्रशिक्षित चालक के अनियंत्रित गति से चल रहे बिना मानक पैमानों के वाहनों का विरोध नहीं करते हैं तथा स्कूल प्रबंधन द्वारा भी लगातार ऐसे वाहनों की अनदेखी की जाती है जिनमें बिना सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम के मात्रा से अधिक बच्चों को लाने ले जाने को स्वीकृत किया जाता है, साथ ही ऐसी परिस्थिति में जब वाहन मालिक बिना प्रशिक्षित चालक के बिना सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम के वाहनों का संचालन कर रहे हैं। यदि किसी प्रकार का घटनाक्रम इस लापरवाही के चलते घटित होता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। कई पालकों ने मीडिया के माध्यम से यह मांग है कि शीघ्र ऐसे वाहनों पर लगाम लगाई जाए जो बिना मानक पैमानों को पूरा किए हुए अनियंत्रित गति से अप्रशिक्षित चालकों द्वारा चलाए जा रहे हैं।

क्या कहती है वाहनों की नियमावली :

1 बस का फिटनेस और इंश्योरेंस सर्टिफिकेट हो।

2 बसों की विडो में ग्रिल लगी होनी चाहिए, भीतर कोई पर्दा नहीं हो।

3 बस में स्कूल का नाम लिखा पीछे हेल्पलाइन नंबर व स्कूल का नंबर हो।

4.स्कूल आटो के लिए आरटीए से मान्यता प्राप्त ऑटो में 5 से अधिक बच्चे न बैठे हों। दोनों ओर ग्रिल्स लगी होनी चाहिए।

5 एक महिला वार्डन छोटे बच्चों की निगरानी के लिए हो।

6 सीसीटीवी कैमरा लगा होना चाहिए।

7 समय-समय पर ड्राइवर की मेडिकल जांच होनी चाहिए।

करेंगे कार्रवाई
में आरटीओ ऑफिस से वाहनों की गाइड लाइन मंगवा लेता हु, साथ ही कार्रवाई के लिए एक लेटर भी लिख देता हूं। लापरवाही बरतने वाले स्कूलों पर नियमावली के हिसाब से सख्त कार्रवाई करेंगे।
आर. के. यादव डीपीसी राजगढ़