बर्बादी की चपेट में आया युवा तो माता पिता रखे नजर, विशेषज्ञ बोलें निगरानी जरूरी नशा मुक्ति पहुंच रहे नशा करने के शिकार हुए लोग, लत छुड़ाने के हो रहे प्रयास।
बर्बादी की चपेट में आया युवा तो माता पिता रखे नजर, विशेषज्ञ बोलें निगरानी जरूरी
नशा मुक्ति पहुंच रहे नशा करने के शिकार हुए लोग, लत छुड़ाने के हो रहे प्रयास।
नशा मुक्ति ने बदली शराबियों की जिंदगी।
सारंगपुर//
युवाओं में धीरे धीरे शराब, गांजा सूखे या गंभीर नशों की लत बढ़ती जा रही है। बड़े शहरों के नशामुक्ति केन्द्रों में जितने व्यक्ति नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए उपचार कर रहे हैं, उनमें सारंगपुर के भी लगभग अदादर्जन लोग आज शराब छोड़ कर सोबर जिंदगी जी रहे है, बता दे कि नशा मुक्ति केंद्रों में शराब के साथ ही लगभग आधे सूखे नशे से पीड़ित यानी गांजा, स्मैक, चरस व खतरनाक एमडी ड्रग के शिकार हुए लोग हैं। सबसे नई समस्या यह है कि आज कल युवाओं में होने वाली पार्टी नशे के सेवन के रूप में सामने आ रही है। पहले इनकी संख्या नाममात्र थी, लेकिन अब इनमें बढ़ोतरी हो रही है।
नशा मुक्ति ने बदली जिंदगी :
सारंगपुर में रहने वाले एक 34 वर्षीय युवक व लगभग 60 वर्षीय शासकीय सर्विस से सेवा निवृत्त हुए बढ़ी मात्रा में अधिकांश समय शराब का नशा करते थे। उक्त व्यक्ति नशे के इस कदर गिरफ्त में आ गया था, कि सेवा निवृत्त हो चुके व्यक्ति के बेटे और परिवारजनों ने अपने घर पर साथ न रखते हुए 60 वर्षीय व्यक्ति को अकेले छोड़ दिया था। बेटे को नशा मुक्ति की जानकारी लगने के बाद उज्जैन के नशा मुक्ति केंद्र में करीब पांच महीने उसका इलाज चला। इलाज के बाद अब पूरी तरह स्वस्थ है। अब वह अपने परिवार के साथ सामान्य जिंदगी जी रहा है। वहीं इंदौर पहचान केंद्र संचालिका सोनिया मुखर्जी ने बताया कि नशा एक एडिक्शन की बीमारी है, जिसका काउंसलिंग, मेडिसिन, मेडिटेशन के जरिए इलाज किया जाना होता है।
स्थानीय स्तर पर यह हो रहे प्रयास :
पुलिस अनुविभागीय अधिकारी अरविंद सिंह समय समय पर मादक पदार्थों पर लगातार शहर में कार्रवाई कर रहे हैं। बीते सप्ताह पुलिस ने गांजा शौकीनों पर कार्रवाई करते हुए गांजा नहीं पीने की सलाह दी थी। इधर सिविल अस्पताल चिकत्सकों का कहना है कि सिविल अस्पताल में उपचार के दौरान आने वाले नशा पीड़ितों को हम नशा मुक्ति में पुनर्वास केंद्र के माध्यम से नशे की लत से पीढ़ित को दूर रखने की सलाह परिजनों को देते है।
हालात... शहर में कई जगह नशे के हाट स्पॉट :
सूत्रों की माने तो अट्ठाराह खंबा, रानी रूपमती, पुराना दशहरा मैदान, अशोक टाकीज क्षेत्र नशेड़ियों का अड्डा बने हुए हैं। एरियों में सन्नाटा रहता है। इसी वजह से ये नशेलचियों के अड्डे बनें हुए हैं। शहर के सटे जंगलों में दिन और रात के समय नशेलचियों का जमघट लगा रहता है। यहां गांजा फूंकने और स्मैक पीने वाले ज्यादा संख्या में नजर आते हैं।
अगर ये संकेत दिखें तो हो जाएं सचेत...
किशोर या युवा परिवार के सदस्यों से कटा कटा रहने लगा हो। कई घंटों तक कमरे में बंद रहता है और कमरे का दरवाजा ना खोले।
आंखों में हमेशा लाली छाई रहती है। कई बार आंखों में कालापन तक आने लगता है, बोलचाल में परिवर्तन दिख रहा है, या बिल्कुल शांत हो गया है।
यदि किशोर या युवा के पास या कमरे से कुछ जलने की बदबू आती हो।
हाथ में सीरिंज लगने जैसे निशान दिख रहे हैं, छुपाने के लिए फुल स्लीव्स की शर्ट पहन रहा है।
बीमार पड़ने पर भी परिजनों के साथ डॉक्टर के पास जाने को राजी नहीं होता, दोस्तों के साथ ही जाने की जिद करता है। उसके कमरे या बाथरूम में इंजेक्शन या सीरिंज दिखने पर सतर्क हो जाएं।
जागरूकता के साथ परामर्श
युवा अब पान की दुकानों पर या कैफे में धुंआ उडाते दिखाई देते हैं। इन्हें माता पिता की निगरानी के साथ ही, सही काउंसलिंग, परामर्श की आवश्यकता होती है। हम नियमित प्रयास कर नशे के दुष्प्रभाव व जागरूकता के माध्यम से परामर्श देने का कार्य भी करते हैं। प्रोग्राम की मदद से आज लाखों लोग नशे से दूर है।
संजय मूले काउंसलर पहचान नशा मुक्ति केंद्र इंदौर