सारंगपुर में कभी भी ढह सकती है यह इमारतें, शहर में शासकीय अनुपयोगी भवनों की भरमार घटनाओं से सबक नही ले रहे जिम्मेदार, जीर्णशीर्ण शासकीय अशासकीय भवनों पर नही दिया जा रहा ध्यान
सारंगपुर में कभी भी ढह सकती है यह इमारतें, शहर में शासकीय अनुपयोगी भवनों की भरमार
घटनाओं से सबक नही ले रहे जिम्मेदार, जीर्णशीर्ण शासकीय अशासकीय भवनों पर नही दिया जा रहा ध्यान।
सत्यनारायण वैष्णव (संपादक)
राजगढ़ जिले के सारंगपुर में ऐसी कई शासकीय अशासकीय पुरानी बिल्डिंग हैं, जो जर्जर हो चुकी है और कभी भी धराशायी हो सकती है। लोगों को भारी जानमाल का नुकसान हो सकता है। प्रदेश के सागर जिले से भी जर्जर भवन के ढहने से आठ बच्चों की मौत जैसे मामले भी सामने आ चुके हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार इन घटनाओं से सबक नहीं ले रहे हैं। जर्जर भवनों को ना तो डिसमेंटल किया जा रहा है, न सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। मतलब साफ है कि प्रशासन किसी बड़े हादसे की राह देख रहा है। शहरवासियों की माने तो प्रशासन को चाहिए कि जल्द इन जर्जर भवनों को चिन्हित कर उसे डिस्मेंटल करने की कार्रवाई करें या फिर उसे गिरने से रोकने सुरक्षा के कोई उपाय बनाएं। ताकि आगामी समय में होने वाली अनहोनी और भारी जानमाल के नुकसान से बचाया जा सके। लेकिन नगर में ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।
12 वर्षों से उलझी जर्जर चिकत्सालय गिराने की कार्रवाई :
ओल्ड एबी रोड पर स्थित पशु चिकित्सालय का पुराना जर्जर भवन तोड़ने की कार्यवाही लगभग 12 सालों में भी पूरी नहीं हो सकी है। यहां के पुराने जर्जर भवन को ढहाने के लिए दफ्तर के अधिकारी साल 2012 से अफसरों से लगातार पत्राचार कर रहे हैं, अलबत्ता पुराने भवन को अनुपयोगी घोषित किया जा चुका है। साल 2018 में इस भवन को अनुपयोगी घोषित करने के बाद से अब तक इसे बहाने के लिए लोक निर्माण विभाग ने ठोस कार्यवाही नहीं की है, अब भवन के अधिकांश हिस्से कमजोर होकर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इतना ही नहीं भवन की छत का प्लासटर भर भराकर लगातार क्षरण के साथ गिर रहा है। सूत्रों की माने तो लोक निर्माण विभाग को इस भवन को ढहाने के लिए पंड का अभाव है। ऐसे में भवन को ढहाने में देरी हो रही है। इधर पुराने अनुपयोगी भवन के कभी भी गिरने से संभावित दुर्घटनाओं का खतरा बरकरार है। पशु चिकित्सालय के अफसरों ने बीते साल 2022 के नवंबर में भी लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखकर पुराने अनुपयोगी भवन को ढहाने की मांग की थी, प्रशासनिक सुस्ती का इससे अच्छा उदाहरण भी नहीं कि पर अब तक भवन को नहीं ढहाया गया है।
5 बार पत्र लिखे स्मरण के बावजूद नहीं बदले हालात :
बता दे की पशु चिकित्सालय के अफसरों ने साल 2012 से लेकर अब तक वरिष्ठ स्तर पर 5 पत्र लिखे हैं। हालाकि पुराने भवन के अनुपयोगी घोषित कर देने के साथ ही यहां नया भवन बना दिया गया था। इसी नए भवन में दफ्तर के काम काज किए जा रहे हैं। यहां सेवारत कर्मियों का कहना है कि नए भवन के ठीक सामने स्थित पुराने जर्जर भवन से दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
अन्य भवनों के भी एक जैसे हाल, खंडहर हुआ पुराना तहसील, अस्पताल :
जानकारी है की तहसील भवन लोक निर्माण विभाग ने इसे साल. 2020 में असुरक्षित व अनुपयोगी घोषित किया था। अभी आधा भवन ढहाया गया है। इसे बहाने में विभाग की कोई रुचि देखने को नहीं मिली है। वही शहर का पुराना सिविल अस्पताल, पुरानी जनपद, पुरानी तहसील, भवन अनुपयोगी होकर खंडहर बन गया है। पुराना अस्पताल शहर के बीच स्थित ये भवन अनुपयोगी होकर खंडहर में तब्दील हो गया है। विश्वसनीय सूत्रों की माने तो पुराने चिकत्सालय भवन के कीमती उपकरण भी चोरी हो गए हैं।
नोटिस जारी करने तक सीमित प्रशासन :
बता दें कि पूर्व में तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राकेश मोहन त्रिपाठी ने शहर में स्थित शासकीय भवनों का एक सर्वे कर पुरानी और जर्जर बिल्डिंगे चिन्हित की थी। जर्जर भवनों के जिम्मेदारों को नोटिस भी जारी किया गया था। बिल्डिंगों पर बुलडोजर कार्रवाई कर उन्हें धराशायी किए जाने की बात कही गई थी। लेकिन नोटिस करने के बाद जिम्मेदारों ने इतिश्री कर ली। वर्तमान में इन जर्जर भवनों की और किसी का कोई ध्यान नहीं है। सभी बड़े हादसे की राह ताकते नजर आते हैं।
क्या कहना है इनका
शहर के जर्जर मकानों व शासकीय बिल्डिंगों को डिस्मेंटल कराने की जानकारी संबंधित विभागों के अधिकारियों से लेकर आगे की कार्रवाई करने निर्देशित किया जाएगा।
संजय उपाध्याय एसडीएम सारंगपुर