सारंगपुर में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने किया प्राइवेट क्लीनिक, मेडिकल का निरीक्षण, जांची डिग्री 3 प्रायवेट क्लीनिक संचालकों को थमाया नोटिस
फर्जी डॉक्टरों पर सिविल अधीक्षक ने कसा शिकंजा, 3 क्लिनिक संचालकों को थमाया नोटिस
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने किया प्राइवेट क्लीनिक, मेडिकल का निरीक्षण, जांची डिग्री
सत्यनारायण वैष्णव - सारंगपुर
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के आदेश के बाद शहर में झोलाछाप डॉक्टरों पर स्वास्थ्य विभाग के सिविल अस्पताल अधीक्षक मनीष चौहान ने मंगलवार को नगर के चौराहा पर संचालित प्राइवेट क्लीनिकों पर छापा मारा। बताया जा रहा है की वहां मौजूद डॉक्टर द्वारा मरीजों का इलाज किया जा रहा था। जानकारी मिली है की प्राइवेट क्लीनिक लववंशी दवाखाना, जनसेवा क्लिनिक, साई कृपा क्लीनिक सहित यशवशी मेडिकल के पास में किसी भी तरह के दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे और वहीं कुछ प्रतिबंधात्मक दवाएं मिलने से क्लिनिक व मेडिकल संचालक को नोटिस थमाया गया है। शहर में कार्रवाई की जानकारी नगर में फैलते ही कई प्राइवेट चिकित्सक अपने क्लीनिक के शटर लगाकर भूमिगत हो गए, ऐसे ही पूर्व में कुछ दिनों पहले शहर के दो अन्य डॉक्टर क्लिनिक का पंचनामा बनाकर उन्हें दस्तावेज प्रस्तुत करने का नोटिस चस्पा करते हुए क्लिनिक सील किए गए थे।
उल्लेखनीय है की शहर के बीचोंबीच अवैध रूप से चल रहे क्लीनिकों पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापा मारा। टीम ने कार्रवाई के दौरान क्लीनिक संचालित करने वाले डॉक्टर न तो पंजीयन दिखा पाए और न ही डिग्री। सूत्रों की माने तो इन क्लीनिकों पर मरीजों का एलोपैथी से इलाज किया जा रहा था। ये ऐसे डॉक्टर हैं, जिनमें प्रत्येक के क्लीनिक पर रोजाना 100 से अधिक मरीज इलाज कराने आते हैं। यह इंजेक्शन लगाने से लेकर ड्रिप तक चढ़ा देते हैं। इतना ही नहीं कुछ दिन पहले फर्जी डॉक्टर के इलाज से मरीज की तबियत बिगड़ने की शिकायत सामने आई थी। यह प्राइवेट क्लीनिक संचालक बड़ी बीमारियों का भी इलाज कर देते हैं। ज्ञात हो हो कि मंगलवार को क्षेत्र में अवैध क्लीनिक चलने की शिकायत प्रशासन को मिली थी। इसके बाद एसडीएम संजय उपाध्याय ने स्वास्थ्य विभाग की टीम को कार्रवाई के लिए भेजा था।
ग्रामीणों क्षेत्रों में झोलाछापों की भरमार :
ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीणों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। पाडल्या, भैंसवा, मऊ, पड़ाना, सहित अन्य गांवों में प्राइवेट चिकित्सक दुकान जमाकर लोगों का आधा-अधूरा इलाज कर रहे हैं।
गौरतलब है कि मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 30 से 35 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में सिविल अस्पताल भेज देते हैं। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है। फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में कार्रवाई नहीं की जा रही।
फर्जी डॉक्टरों के पास दवाओं का भंडारण :
झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। बावजूद इसके प्रशासन द्वारा अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
जारी रहेगी कार्रवाई
मंगलवार को शहर में चल रहे प्राइवेट कलीनिकों व मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण किया गया था, दो प्राइवेट डॉक्टरों ने जरूरी कागज नही दिखाए थे, जिन्हे नोटिस जारी किए गए है। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
डॉ मनीष चौहान अधीक्षक सिविल अस्पताल सारंगपुर