प्राचीन लालमाता मंदिर में हुई घटस्थापना, नगर के प्रमुख मंदिरों में उमड़ेगी भक्तों की भीड़


आस्था की शक्ति : इंदौर से आया बहिनिया परिवार 10 दिन करेगा मां की आराधना, स्थापित की ज्वारे की बाड़ी

सारंगपुर

शारदीय नवरात्रि पर्व को लेकर नगर के गाडरी वाडा चौक स्थित में लालमाता मंदिर वार्ड सहित अंचल के कई देवी मंदिरो में घट स्थापना सहित ज्वारे की बाड़ी की स्थापना की गई। वहीं नगर में अनेक स्थानों पर इन दिनों शक्ति उपासना के लिए भक्तों का ताता लगा हुआ दिखाई देगा। पर्व के दिनो में कई स्थानो से बिजासन भैसवा माता चुनर यात्राए भी निकाली जाएगी। लालमाता मंदिर, अन्य माता मंदिरो के साथ फूलमाता मंदिर, कालिका मंदिर, चौंसट योगनी माता मंदिर बालीपुरा पर भी पर्व को लेकर विशेष तैयारिया की गई है। नगर के विभिन्न मोहल्लों में पंडालों में भी नवरात्रि पर्व पर मां की प्रतिमाएं स्थापित की गई है, जहा प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक आयोजनों के साथ गरबो की सुंदर सुंदर प्रस्तुतियां दी जाएगी।

घट स्थापना के साथ बोए ज्वारे :

लालमाता मंदिर पांडा रमेश बहिनिया ने बताया कि नवरात्रि के पर्व पर माता मंदिर मे घट स्थापना के साथ ही नगर की जीवन दायिनी कालीसिंध नदी के दोनों किनारों की मिट्टी के साथ मिलाकर अमावस्या के दिन ज्वारे बोए जाते हैं। फिर इसे प्रतिदिन थोड़ा थोड़ा पानी सुबह शाम डाला जाता है। चार-पांच दिन बाद ज्वारे अच्छे से निकलना प्रारंभ हो जाते है। उन्होने बताया कि नवरात्रि के अंतिम दिन ,,,,,,,अक्टूबर की रात्रि को माता की महाआरती के बाद ज्वारे की बाड़ी उठाई जावेगी तथा ढोल ढमाकों के साथ मंदिर से शहर के मुख्य बाजार होते हुए नदी घाट पर विसर्जन का कार्यक्रम किया जाता है।

मंदिर में काला जी महाराज का स्थान:

मता मंदिर में काला जी महाराज का भी मंदिर है लालमाता मंदिर के पुजारी कमल बहनिया बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष 15 दिनों तक मां की पूजा के साथ साथ काला जी महाराज की भी पूजा की जाती है। पुजारी के अनुसार प्रत्येक माता मंदिर में भेरू महाराज के साथ ही काला जी महाराज का स्थान भी होता है जो कि मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था को जोड़ता है।

समीप ही शीतला माता मंदिर :

पुराना गाड़ी वाडा चौक में प्राचीन माता मंदिर के समीप ही शीतला माता मंदिर भी स्थित है। मंदिर की मान्यता अनुसार सालों पहले से शहर में निवासरत धनगर समाज के लोगों द्वारा आज भी शादी ब्याह के दौरान दूल्हा दुल्हन की माता पूजन की शुरुआत यहीं से की जाने की परंपरा रही है। सामाजिक लोगों द्वारा प्रत्येक तीज त्योहार पर विशेष पूजा कर परंपरागत होली का डांडा गाड़ कर होली सजाई जाती है।

नवमी को समापन के साथ निकाली जाती है बाड़ी :

मान्यता अनुसार माता मंदिर में अमावस्या को स्थापित की गई बाड़ी का विसर्जन शक्ति और अराधना का पर्व के समापन नवमी के दिन लालमाता व बाड़ी की विशेष पूजा अर्चना कर भक्तों द्वारा प्रमुख मार्गों से निकालते हुए कालीसिंध नदी में विसर्जन किया जाता है। जानकारी अनुसार अगले दिन नगर के बदलीपुरा हनुमान मंदिर पर चौला चढ़ावा सहित प्रसिद्ध शक्तिपीठ बिजासन भैसवा माता मंदिर में मान मत्रत की पूजा की जाती है।
नपा का मिलता है सहयोग
हर साल सारंगपुर नगर पालिका द्वारा मंदिर के आसपास की साफ सफाई, विद्युत, टेंकरो से पेयजल व्यवस्था की जाती है। पिछले साल अध्यक्ष पंकज पालीवाल जी ने मंदिर सड़क पर पेवर्स भी लगाए थे। जिसका मंदिर समिति आभार व्यक्त करती है।
रमेश बहिनीया पुजारी पंडा लालमाता मंदिर