क्षेत्रवासियों का आज भी कायम है विश्वास, गांधी चौक, सदर बाजार आते है ग्राहक

शहर के कई चौक चौराहों के विस्तार के बाद भी तीज त्योहारों पर उमड़ती है भीड़

शहरवासियों को हर जीवनोपयोगी वस्तुएं मिलती है यहां

सत्यनारायण वैष्णव एडिटर इन चीफ

शहर के मध्य स्थित गांधी चौक, सदर बाजार आज भी लोगों का पसंदीदा बाजार बना हुआ है। यहां घरेलू जरूरत की तमाम वस्तुएं किफायती दामों पर मिल जाती है। यहां के व्यापारी दुकानदारों का व्यवहार व विश्वास लोगों के दिलों में छाया हुआ है। यहीं कारण है कि शहर के चौक चौराहों का विस्तार होने के बाद भी लोग तीज त्योहारों पर खरीदारी करने यहां पर आते हैं। शहर में जब भी शादी समारोह व अन्य अवसरों पर बच्चों व महिलाओं की सामग्री की बात होती है तो यह बाजार याद आता है।

दुकानदार रिटल में करते है कारोबार :

सदर बाजार, मुखर्जी चौक, गांधी चौक सहित त्रिपोलिया बाजार में लगभग 300 से 500 दुकानें हैं। यहां रिटेल में महिला श्रंगार व घरों के रोजमर्रा की सामग्री मिलती है। इनमें ज्वैलरी व बैंग्ल्स भी शामिल है। सेल के रूप में होजरी, अंडर गारमेंट्स, क्रॉकरी, मनिहारी, कॉस्मेटिक, पूजा सामग्री, बेल्ट, चश्मा, पर्स, चेन, रेडीमेड, ब्लाउज, फॉल, लैंस, ताले, रंगोली, पोस्टर, स्टीकर, सब्जी, समेत अन्य सामग्री उपलब्ध है।

यहां पर होता था जूतों का निर्माण :

गांधी चौक में गांधी प्रतिमा के बहार शहर के अहिरवार समाज के लोग दुकान लगा कर चमड़े के जूतों का निर्माण करते थे। यहां लगने वाली सीताफल की मंडी ने प्रदेश सहित अन्य राज्यों, देश विदेश में खासी पहचान बनाई थी। गांधी चौक कार्नर पर एक स्टूडियो 90 के दशक से लेकर आज भी है। जो सीमा स्टूडियों के नाम से प्रसिद्ध है। समीप ही यहां भेड़ बकरियों के लिए पत्ती बाजार लगाया जाता था, जो काफी चर्चित था। पूर्व में बॉलीवुड के अभिनेता व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता स्वर्गीय सुनील दत्त सहित कई दिग्गजों ने इस चौक को चुनावी सभा के लिए अपना पसंदीदा स्थान चुन रखा था। चौक में पूर्व में पीछे गली थी। यहां पर आयुर्वेदिक जड़ी बूटी आदि मिलती थी। धीरे धीरे यहां पर मिर्ची का कारोबार बढ़ा तो इसका नाम मिर्ची गली हो गया। वर्तमान में इसका नाम तो मिर्ची गली है पर यहां पर पान दुकान, चाय होटल, जनरल आयटम, गिफ्ट, आदि सामान मिल रहा है।

जनपद, तहसील,अस्पताल व वटकेश्वर मंदिर इसकी प्राचीनता :

यह क्षेत्र रियासत काल में बनाया गया है। यहां पर आजादी के समय तिरंगा लहराया जाने वाला किला गेट, ओम की आकृति में शामिल वटकेश्वर मंदिर, शासकीय बहु उद्देश्यीय विद्यालय, अशोक टाकीज, पुरानी जनपद, तहसील, के साथ ही पुराना शासकीय अस्पताल इसकी पहचान है। वर्षों पूर्व पतरों के शेड में बनी सब्जी मंडी प्राचीनकाल की याद दिलाती है। हालाकि इन दिनों सब्जी मंडी का स्थानातरण होने के बाद उक्त मंडी का निर्माण कर उसे नया रूप दे दिया गया है। साथ ही कान्यशाला स्कूल उस दौरान उच्च शिक्षा के मामले में शहर में गिने चुने स्कूल ही थे। यहां का शासकीय स्कूल अभी भी चल रहा है।

यहां शुद्ध दूध की रबड़ी थी प्रसिद्ध :

शहरवासी बताते है की 1980 से 90 के दशक में गांधी चौक के सदर बाजार रोड़ पर घिसू उस्ताद के बेसन के भजिए व गली में कृपा शंकर महाराज रोजाना शुद्ध दूध की रबड़ी बनाते थे। खरीदारी करने कोई आता तो उनके यहां की रबड़ी खाने जरूर जाता था। हालाकि महाराज परिवार द्वारा होटल व्यवसाय छोड़ने के बाद यह कार्य उन्हीं के अधीनस्थ रहे लोग कर रहे है।

आज भी लगता है शनिवार हाट बाजार :

एक समय सदर बाजार, मुखर्जी चौक, गांधी चौक सहित त्रिपोलिया बाजार में शनिवार को ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की खासी भीड़ देखी जाती थी। बता दे की दुकानदारों को आज भी उक्त मार्केट में रौनक लोटने की आस है, इसी कारण नगर के व्यापारियों द्वारा कारोबार को गति देने के लिए आज भी शनिवार के दिन सड़कों पर दुकानें सजाई जाती है। यहां ग्राहकों को किफायती दाम पर विभिन्न सामग्री आज भी मिल जाती है।

लोगों का विश्वास, हमारी पूंजी है
सदर बाजार, गांधी चौक, मुखर्जी चौक में महिलाओं, बच्चों के अलावा घरेलू सामग्री रिटेल व होलसेल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। शहर सहित क्षेत्रभर से लोग आज भी यहां खरीदारी करने आते हैं। बाजार के लोगों का विश्वास जमा है। यहीं हमारी पूंजी है।
कन्हैया लाल सोलंकी व्यापारी सदर बाजार

हर सामान की उपलब्धता
वर्तमान में उपभोक्ता को किसी भी सामान के लिए इधर, उधर भटकना नहीं पड़ता है। सभी सामान आधा किलोमीटर के इस दायरे में मिल जाता है। इसके कारण यहां का बाजार प्रसिद्ध है। अब इन दिनों धीरे धीरे कारोबार भी बढ़ गया है।
सुनील धनगर, थोक पान व्यापारी