सिविल अस्पताल में भर्ती मरीजों को चुकाना होता है शुल्क। नर्स चेंबर में बैठकर करती है आराम, उपचार के लिए करना होता है इंतजार।
सिविल अस्पताल में भर्ती मरीजों को चुकाना होता है शुल्क।
नर्स चेंबर में बैठकर करती है आराम, उपचार के लिए करना होता है इंतजार।
सारंगपुर
राजगढ़ जिले के सारंगपुर के सिविल अस्पताल में आने वाले मरीजों को अब रोगी कल्याण समिति की ओपीडी शुल्क 10 रुपए के साथ साथ अब भर्ती शुक्ल भी चुकाना पड़ रहा है। वही दूसरी और मरीज के परिजनों का कहना है की अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूदा नर्स भर्ती मरीजों के उपचार के बजाय अपने चेंबर में गप्पे लड़ाती नजर आती है।
उल्लेखनीय है की बदलते मौसम के बाद नगर सहित ग्रामीण अंचल के लोगों में मौसमी बीमारी का असर देखने को मिल रहा है। हालात यह है कि अस्पताल में रोजाना सैकड़ों की तादाद में मरीज अपना उपचार कराने पहुंच रहे है। देखा जाए तो अस्पताल में ओपीडी समय पर अधिकांश पदस्थ चिकत्सक नदारद पाए जाते। साथ ही अस्पताल के जनरल वार्ड में भर्ती मरीजों को बॉटल इंजेक्शन लगाने वाली मौजूदा ड्यूटी नर्स मरीजों का उपचार करने के बजाय स्टाफ रूम में कुर्सी पर आराम फरमाते दिखाई देती है। ऐसा नहीं है की इस बात की जानकारी मौजूदा सिविल अस्पताल अधीक्षक या सीबीएमओ को नहीं है बल्कि सबकुछ जानकर स्वास्थ्य अधिकारी न तो ओपीडी समय पर और नही आने वाले चिकत्सकों की मनमानी पर अंकुश लगा पा रहे है और न ही लापरवाही बरतने वाली नर्सों की लापरवाही पर ध्यान दे रहे है।
सोमवार को 3 बजे मीडिया के देखने में आया है की अस्पताल में दोपहर में इमरजेंसी ड्यूटी डॉक्टर अभिलाषा चौधरी के बदले ड्यूटी कर रहे डॉक्टर मनीष सूर्यवंशी के पास भर्ती मरीजों की भीड़ देखी गई। वही भर्ती मरीजों की बात करे तो मौजूदा मरीज भगवान भरोसे अपना उपचार कराते दिखाई दे रहे थे, क्यों की ड्यूटी नर्स लिलेश्वरी भर्ती मरीजों को बोतल इंजेक्शन लगाने के बजाय कुर्सी पर आराम फरमा रही थी, वही नर्स ममता दर्जनों मरीजों के बीच जद्दोजहद करती दिखाई दी।
पैरामेडिकेयर छात्रों के भरोसे रहते है भर्ती मरीज :
सिविल अस्पताल में पदस्थ नर्सों को जिम्मेदारी भले ही वार्ड में भर्ती मरीजों को डॉक्टर के दिए उपचार मुहैया कराने की दी गई हो। लेकिन तैनात ड्यूटी नर्स मरीजों का इलाज करना तो दूर उन्हे बॉटल इंजेक्शन लगाने भी स्टाफरूम से उठकर नहीं आती। सूत्रों की माने तो वार्ड में भर्ती मरीजों को पैरामेडिकेयर छात्रों द्वारा ही बॉटल इंजेक्शन लगाए जा रहे है। मरीजों का कहना है कि चिकत्सालय में प्रेक्टिस सीखने आए मेडिकेयर छात्रों द्वारा लगाई गई बॉटल सिरिंज बार बार ऑउट हो जाती है। वार्ड में भर्ती मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दिन के समय रोजाना मेडिकेयर छात्र ही बॉटल इंजेक्शन लगा रहे है। कई मरीजों की नस इन छात्रों को नही मिलती जिससे बार बार मरीजों को सुई चुबाई जाती है। साथ ही सिरिंज ऑउट होने का डर भी बना रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों से आए परिजनों की माने तो नर्सों द्वारा इंजेक्शन बॉटल नही लगाने की शिकायत अधिकारियों से करने पर मरीज व परिजनों से मौजूदा नर्सों द्वारा दुत्कार सहित अभद्रता का सामना करना पड़ता है।
भर्ती मरीजों को चुकाना पड़ रहा शुल्क :
अस्पताल में भर्ती मरीजों ने बताया कि शासन ने भले ही चिकत्सालय में आने वाले मरीजों के निशुल्क उपचार की घोषणा कर रखी हो, किंतु स्थानीय सिविल अस्पताल में आने वाले मरीजों से ओपीडी पर्चे के साथ साथ भर्ती मरीजों से 30 रुपए भर्ती शुल्क भी लिया जाता है। जिससे गरीब वर्ग के भर्ती मरीजों के परिजनों को आर्थिक भार का सामना भी करना पड़ता है। शहरवासियों ने राज्यमंत्री गौतम टेटवाल से इस और ध्यान देने की मांग की है।
गंदगी से होते परेशान, नहीं बदलते चद्दर।
100 बिस्तरीय अस्पताल के हालात यह है की परिसर में पसरी गंदगी से मरीजों को झुंझना पड़ता है। समय पर मरीजों के पलंग की चद्दर भी नहीं बदली जाती है। अस्पताल की कई दीवारे पान गुटखे की पिक से रंगी दिखाई देती है। चिकत्सालय में डस्टबिन की कमी है जिसके कारण परिसर में गंदगी पसरी देखी जा सकती है।
शुल्क तय
अस्पताल में भर्ती मरीजों का शुल्क पहले से ही रोगी कल्याण समिति की मीटिंग में तय कर रखा है। अगर कोई गरीब आयुष्मान कार्ड दिखाता है तो राशि नही ली जाएगी। रही बात नर्सों की मनमानी की तो में इसे दिखवाता हूं।
डॉक्टर मनीष चौहान अधीक्षक सिविल अस्पताल सारंगपुर