सोयाबीन किसानों पर मौसम की मार: मंडी में मिल रहे कम दाम अधिकारी बोले- जल्द कराएंगे सर्वे
सोयाबीन किसानों पर मौसम की मार:
मंडी में मिल रहे कम दाम
अधिकारी बोले- जल्द कराएंगे सर्वे
सारंगपुर
सोयाबीन की फसल बुआई करने वाले किसानों के लिए वर्ष 2024 सबसे अधिक नुकसान वाला वर्ष रहा है। वर्ष 2014 से लेकर 2024 तक एक दशक बीत गया है। पिछले 10 वर्षों में सोयाबीन का भाव 45 सौ रुपए प्रति क्विंटल से कम नहीं रहा है। कई बार सोयाबीन 6 हजार रुपए क्विंटल से भी अधिक दामों पर मंडी में बिकी है। लेकिन इस बार मंडी में सोयाबीन 3800-4700 रुपए क्विंटल के भाव में बिक रही है। जबकि औसत दाम महज 4200 रुपये प्रति क्विंटल मिल पा रहे है। प्रदेश में सोयाबीन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। सरकार ने ही कैबिनेट बैठक में एमएसपी 4 हजार 892 रुपए पर खरीदने का ऐलान किया है।
सोयाबीन की फसल पर बारिश का कहर
क्षेत्र में कई किसानों की सोयाबीन फसल पककर तैयार है। कई किसानों ने सोयाबीन की कटाई कर ली, अब सोयाबीन खेतों में पडी है। ऐसे में पकी हुई सोयाबीन की फसल पर बारिश पिछले तीन दिनों से कहर बनकर टूटी है। इससे किसानों की सोयाबीन की फसल में काफी नुकसान हो रहा है।
अधिकारी और बीमा कंपनी अभी तक खेतों पर नहीं पहुंचे
ग्रामीण क्षेत्र के कई किसानों ने बताया है कि मौसम की मार के कारण किसानों की सोयाबीन फसलों चौपट हो गई है। उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसानों को हुए नुकसान का आंकलन लगाने के लिए कोई भी राजस्व अधिकारी, कृषि अधिकारी और बीमा अधिकारी खेतों पर नहीं पहुंचा।
रिपोर्ट कर रहे तैयार
वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एसके उपाध्याय ने बताया कि जहां-जहां समस्या आ रही है। वहां कृषि अधिकारी मौके पर पहुंचकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। सोयाबीन की क्रॉस कटिंग कर ओवरऑल एवरेज निकाला जाएगा। जहां सोयाबीन को पूरा नुकसान हो रहा है। वहां बीमा कंपनी के अधिकारियों के नंबर भी किसानों को उपलब्ध करा रहे हैं। बीमा कंपनी के अधिकारी भी खेतों पर पहुंच रहे हैं।
जल्द ही करेंगे नुकसान का सर्वे
मामले में प्रभारी एसडीएम गीतांजलि शर्मा ने बताया कि शीघ्र ही क्षेत्र का ओवरऑल सर्वे पुरा करेंगे। सर्वे में सोयाबीन की फसल में हुई नुकसान का आंकलन कर रिपोर्ट शासन को भेजेंगे।
सौंपेंगे ज्ञापन
भारतीय किसान संघ जिला उपाध्यक्ष भगवानसिंह पाटीदार ने बताया कि कई गांवों मे लगातार हो रही बारिश के कारण किसानों की कटी हुई फसलें जलमग्न हो गई है। खड़ी फसलें भी अंकुरित हो चुकी है। किसान अपनी फसलों को काटकर खलिहान में ले गए। वे फसलों की सुरक्षा करते इसके पहले ही बारिश शुरू हो गई। ऊपर से नीचे तक फसलों के ढेर भीग गए है। उमस से उनमें से धुआं निकलने लगा है, फसलें खराब हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इस बारिश से किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। इसे लेकर भारतीय किसान संघ द्वारा ज्ञापन सौंप कर स्थिति से अवगत कराया जाएगा और मुआवजे की मांग की जाएगी।