सारंगपुर। जिसका बौद्धिक विकास स्तर उसकी उम्र के अन्य बच्चों की अपेक्षा कम होता है। हमारे समाज में मंद बुद्धि बच्चा उसे कहा जाता है। इसकी वजह से उसका बोलचाल का तरीका व व्यवहार सामान्य से काफी अलग होता है। किसी भी परिवार में मंद बुद्धि बच्चे का आना अभिशाप माना जाता है। उसके साथ असामान्य व्यवहार किया जाता है और कई बार तो उसका नाम ही पगला रख दिया जाता है। यह बच्चा पास-पड़ोस व कई बार तो घर वालों के भी मजाक का पात्र बनता है। मानसिक रूप से अस्वस्थ तथा मानसिक रूप से अशक्त व्यक्ति भी आज के भाग दौड़ से भरे जीवन की एक कड़वी सच्चाई है। सारंगपुर सहित आसपास के ग्रामिण क्षैत्रो की सड़को पर ऐसे कई मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति घुमते देखे जा सकते है। जिन्हे उपचार की सख्त आवश्यकता है। ऐसे मे इन मानसिक रूप से अस्वस्थ तथा मानसिक रूप से अशक्त व्यक्तियों का पालन हार कौन बनेगा। बेघर अथवा नि:सहाय मानसिक अशक्तताग्रस्त व्यक्ति के मामले में जिम्मेदार मौन है। इन्हे मनो चिकित्सक के पास कौन पहुचायेगा। मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध बेकाबू हो रही भावनात्मक सोच से है। ऐसे समय में जब चारों तरफ नकारात्मक महौल हो तब हर किसी को मनो चिकित्सक के सपोर्ट की जरूरत पड़ती है। इससे शिकार लोगों को मनो चिकित्सक तक जरुर पहुचाना चाहिए। देखने मे यहा भी आया है कि कोरोना महामारी ने हर किसी की जिंदगी को प्रभावित किया है। उस दौर में लोगों ने अपनो को खोया, नौकरी खोई, बिजनेस का नुकसान हुआ और पढ़ाई पर असर हुआ। इन सबका असर लोगों की सेहत पर पड़ा। लोग मानसिक रुप से बीमार होने के साथ साथ तनाव, डिप्रेशन और अकेलेपन के शिकार हुए। इसमें बच्चे, जवान और बूढ़े हर वर्ग के लोग शामिल हैं। कई सर्वे में यह भी पता चला है कि महामारी में बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य की वजह से नशीली पदार्थों का सेवन भी बढ़ा है।

इनका कहना है
इस सम्बंध मे सम्बंधित अधिकारी को निर्देशित कर आवश्यक कार्यवाही की जावेगी।
संजय उपाध्याय, एसडीएम सारंगपुर